सेतरावा कस्बे के समीपवर्ती गांव चौरडिय़ा की मूल निवासी व शेरगढ़ से विधायिका मीनाकंवर अपनी विजय के बाद बुधवार को पहली बार अपने ससुराल चौरडिय़ा पहुंची। जहां ग्रामीणों ने बड़े उत्साह के साथ अपनी बहू का स्वागत किया। वहीं उनके साथ ही क्षेत्रिय विधायक किशनाराम विश्नोई का भी अभिंनदन किया गया। गौरतलब हैं कि शेरगढ़ विधायिका का गांव चौरडिय़ा लोहावट विधानसभा क्षेत्र में आता हैं।
दोपहर करीब 2 बजे विधायिका मीनाकंवर अपने काफिले के साथ ज्यों ही अपने ससुराल चौरडिय़ा की धरा पर कदम रखा तो ढ़ोल ढ़माके गूंज उठे। ग्रामीणों द्वारा बहू के लिए स्वागत द्वार सजाया गया। इस मौके पर गैर नृत्य का आयोजन किया गया। विधायिका मीनाकंवर व लोहावट विधायक किशनाराम को ग्रामीणों ने गैर नृत्य के रूप में आगे चलते हुए ग्राम पंचायत भवन तक पहुंचाया। विधायिका ने यहां पहुंचकर आईजीपी सुल्तानसिंह व प्रभुसिंह जी छतरी पर नमन किया। यहां पर आयोजित समारोह में नवनिवार्चित विधायिका मीनाकंवर का शॉल व माल्यापर्ण तथा विधायक किशनाराम के साथ ही पीसीसी सदस्य उम्मेदसिंह राठौड़ का भी भव्य स्वागत किया। सभा को संबोधित करते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
राजनीती का गढ़ रहा हैं चौरडिय़ा
चौरडिय़ा गांव राजनीति का गढ़ माना जाता हैं। स्वर्गीय खेतसिंह राठौड़ लम्बे समय तक शेरगढ़ विधायक व कांग्रेस राज में कईयों बार केबीनेट मंत्री रहे हैं। वहीं खेतसिंह के भतीजे कल्याणसिंह राठौड़ ने 40 वर्ष तक शेरगढ़ के प्रधान की कुर्सी संभाली व वर्तमान में देवराज हितकारीणी सभा अध्यक्ष के महत्वपूर्ण सामाजिक पद पर अपना दायित्व संभाल रहे हैं। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनावों में शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र से अपने अंतिम चुनाव खेतसिंह राठौड़ हार गये व भाजपा के बाबूसिंह राठौड़ इस पद पर काबिज हो गये। इस प्रकार से चौरडिय़ा परिवार से सता की चाबी बाबूसिंह राठौड़ के हाथ में चली गई। वर्ष 2008 व 2013 में पुर्व प्रधान कल्याणसिंह राठौड़ के पुत्र व खेतसिंह के पौते के रूप उम्मेदसिंह राठौड़ ने बाबूसिंह के सामने ताल ठोकी, लेकिन सफ लता नहीं मिली। इस प्रकार चौरडिय़ा परिवार लगातार 15 तक विधायिकी से दूर रहा।
चौरडिय़ा गांव राजनीति का गढ़ माना जाता हैं। स्वर्गीय खेतसिंह राठौड़ लम्बे समय तक शेरगढ़ विधायक व कांग्रेस राज में कईयों बार केबीनेट मंत्री रहे हैं। वहीं खेतसिंह के भतीजे कल्याणसिंह राठौड़ ने 40 वर्ष तक शेरगढ़ के प्रधान की कुर्सी संभाली व वर्तमान में देवराज हितकारीणी सभा अध्यक्ष के महत्वपूर्ण सामाजिक पद पर अपना दायित्व संभाल रहे हैं। वर्ष 2003 के विधानसभा चुनावों में शेरगढ़ विधानसभा क्षेत्र से अपने अंतिम चुनाव खेतसिंह राठौड़ हार गये व भाजपा के बाबूसिंह राठौड़ इस पद पर काबिज हो गये। इस प्रकार से चौरडिय़ा परिवार से सता की चाबी बाबूसिंह राठौड़ के हाथ में चली गई। वर्ष 2008 व 2013 में पुर्व प्रधान कल्याणसिंह राठौड़ के पुत्र व खेतसिंह के पौते के रूप उम्मेदसिंह राठौड़ ने बाबूसिंह के सामने ताल ठोकी, लेकिन सफ लता नहीं मिली। इस प्रकार चौरडिय़ा परिवार लगातार 15 तक विधायिकी से दूर रहा।
वर्ष 2018 में कांग्रेस पार्टी ने उम्मेदसिंह राठौड़ का टिकट काट उन्ही की धर्मपत्नी मीनाकंवर पर भरोसा जताया ओर ये भरोसा जीत के रूप में तब्दील हो गया। इस प्रकार 15 वर्ष बाद सता हासिल होने व गांव का निवासी के रूप में एक बहु के विधायिका बनने से ग्रामीणों ने उत्साह पूर्वक स्वागत में पलक पावड़े बिछा दिये।
ये भी थे उपस्थित
कार्यक्रम में दुर्जनसिंह राठौड़, सेवानिवृत कंमाडेण्ट धनसिंह सेतरावा, हम्मीरसिंह खिंयासरिया, उतमसिंह आसरलाई, किशोरसिंह जेठानिया, भैरूसिंह चौरडिय़ा, ठाकुर जसवन्तसिंह ऊंटवालिया, सरपंच संघ अध्यक्ष कानसिंह गुमानपुरा, जगतम्बसिंह आसरलाई, जोगसिंह आसरलाई, जीएसएसएस व्यवस्थापक प्रेमसिंह, सरपंच देवी भील, केएन कॉलेज उपाध्यक्ष गुड्डी कंवर सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे।
कार्यक्रम में दुर्जनसिंह राठौड़, सेवानिवृत कंमाडेण्ट धनसिंह सेतरावा, हम्मीरसिंह खिंयासरिया, उतमसिंह आसरलाई, किशोरसिंह जेठानिया, भैरूसिंह चौरडिय़ा, ठाकुर जसवन्तसिंह ऊंटवालिया, सरपंच संघ अध्यक्ष कानसिंह गुमानपुरा, जगतम्बसिंह आसरलाई, जोगसिंह आसरलाई, जीएसएसएस व्यवस्थापक प्रेमसिंह, सरपंच देवी भील, केएन कॉलेज उपाध्यक्ष गुड्डी कंवर सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे।