खुशी व डर के बीच स्कूलों में लौटी आधी रौनक

 
 
-कक्षा छह से आठ तक के स्कूलों का पहला दिन
-पचास फीसदी के आदेश, आधे भी नहीं आए बच्चे
 

<p>खुशी व डर के बीच स्कूलों में लौटी आधी रौनक</p>
जोधपुर. राज्य सरकार की ओर से स्कूलों को कक्षावार खोला जा रहा है, लेकिन अभी तक कहीं न कहीं कुछ अभिभावकों में कोरोना का भय व्याप्त है। इस कारण वे अपने लाडले-लाडलियों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। राज्य सरकार के निर्देश पर सोमवार से कक्षा 6-8वीं तक की कक्षाएं बुलाई गई। नियमानुसार सहमति पत्र लेने के बाद भी करीब 50 फीसदी बच्चों को ही स्कूल बुलाना था, लेकिन पहले दिन कक्षा 6-8वीं के 50 फीसदी नामांकन के भी 50 फीसदी विद्यार्थी स्कूल आए। हालांकि कुछ स्कूलों में अच्छे व तय नामांकन से विद्यार्थी पहुंचे हैं, लेकिन ज्यादातर स्कूलों में बच्चों की संख्या अपेक्षा से कम ही नजर आई। हालांकि कक्षा 9 से 12वीं के विद्यार्थी पहले से स्कूल आ रहे हैं, वहीं इन बच्चों के स्कूल आने से रौनक और बढ़ गई। सभी विद्यार्थी अपने सहपाठियों से मिल खुश नजर आए। शहर के गली-मोहल्लों व चौराहे पर
भी बैग लिए स्कूली बच्चे खूब देखे गए। डीईओ प्रारंभिक संतोष ने कहा कि बच्चों के सहमति पत्र आने के बाद ही स्कूल बुलाया जा रहा है। कक्षा में विद्यार्थियों को बुलाने की क्षमता 50 फीसदी रखी गई है। अभी फिलहाल रिपोर्ट उपस्थिति को लेकर नहीं आई है, लेकिन बच्चे स्कूल तो पहुंचे हैं।
बाध्यता नहीं होना भी बड़ा कारण

राज्य सरकार ने स्कूल बुलाने के लिए किसी विद्यार्थी और अभिभावक को बाध्य नहीं किया है। इसी कारण भी कई विद्यार्थियों के अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने का मानस बना रहे है। शिक्षा विभाग भी सहमति पत्र के आने के बाद ही विद्यार्थी को स्कूल में ले रहा है। इसी कारण स्टूडेंट्स की उपस्थिति धीरे-धीरे बढ़ेगी।
इधर, प्रधानाध्यापक बोले

स्कूलों में विद्यार्थी धीरे-धीरे लौटेंगे। संक्रमण पूरी तरह से नियंत्रण में रहा तो विद्यार्थियों की कक्षावार उपस्थिति व नामांकन भी बढ़ेगा। राज्य सरकार के प्रयासों से लगातार सरकारी स्कूलों में नामांकन भी बढ़ रहा है।
– भंवराराम जाखड़, प्रधानाध्यापक, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गेंवा चौखा

आज अनुपातिक रूप से कम बच्चे आए हैं। धीरे-धीरे अभिभावकों से संपर्क साध ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को स्कूल से जोड़ा जाएगा।

– ललित जुगतावत, प्रधानाध्यापक, राउप्रावि बम्बा
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