बंदी साथियों से हत्या की बात स्वीकारी
न्यायिक अभिरक्षा में जेल में बंद जुम्मादीन से दूसरे बंदियों ने जानकारी चाही तो उसने हत्या की बात स्वीकार की। वह सबसे यही कहता है कि उससे गलती हो गई। गौरतलब है कि 15 जुलाई की रात को जुम्मादीन ने अपनी दो बेटियों को नींद की गोलियां खिलाकर बेहोशी की हालत में नहर में फेंक दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद जुम्मादीन ने 23 जुलाई की रात को पंचायत के समक्ष अपना गुनाह कुबूल लिया था। इस दौरान जुम्मादीन ने पहले भी तीन बच्चों की हत्या करने की बात स्वीकार की थी। पुलिस ने आरोपी की मानसिक जांच कराई है। मानसिक बीमारी जानने के लिए जींद नागरिक अस्पताल की मनोवैज्ञानिकों टीम ने जुम्मादीन से करीब डेढ़ घंटे तक बातचीत की थी। इसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की हुई है। इस रिपोर्ट से पता चला है कि आरोपी सिजोफ्रेनिया से त्रस्त नहीं है।
सिजोफ्रेनिया के लक्षण नहीं
सिजोफ्रेनिया में मनोरोगी को अलग-अलग आवाज आने लगती हैं। ऐसा लगता है कि उसे कोई काम करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। व्यक्ति इसमें अपराध भी कर सकता है। उसे अलग-अलग दृश्य दिखाई देने लगते हैं। फिलहाल जुम्मादीन में इस प्रकार के लक्षण नहीं मिले हैं। उधर गांव डिडवाड़ा में अपने ही पांच बच्चों की हत्या के आरोपित जुम्मादीन को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता कर्मवीर सैनी के नेतृत्व में पांच वकीलों का पैनल गठित किया गया है। वकीलों का यह पैनल सरकार की निश्शुल्क मदद करेगा।
पत्नी ने दिया बेटे को जन्म
हत्या आरोपी की पत्नी रीना को प्रसव पीड़ा होने पर बुधवार सुबह 4 बजे सफीदों के नागरिक अस्पताल में भर्ती करवाया गया। चार घंटे के बाद सामान्य डिलिवरी से उसने बेटे को जन्म दिया। रीना के बच्चा होने की जानकारी मिलते ही जुम्मादीन का भाई यासीन और रीना के पिता अजमेरी व अन्य परिजन अस्पताल पहुंचे।
समाज पर कलंक
सैनी ने कहा कि इस प्रकार के लोग समाज पर कलंक हैं। ऐसे लोगों को जल्दी से जल्दी फांसी की सजा हो ताकि अपराधी प्रवृत्ति के लोगों के लिए यह एक कड़ा संदेश पहुंचे। उन्होंने कहा कि इस केस के बारे में हर पहलु पर बारीकि से अध्ययन करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि सीमित समय में फांसी की सजा हो ताकि जल्दी से जल्दी उसकी पत्नी, मां व अन्य ग्रामीणों को भी न्याय मिल सके।