गढ़ के साथ रखी गई थी ठाकुरजी मंदिर की नींव

नवलगढ़. उपखण्ड मुख्यालय नवलगढ़ से करीब छह किमी दूर गांव बलवंतपुरा 300 वर्ष का इतिहास समेटे हुए हैं। गांव के सुभाष बुगालिया व देवेन्द्र कुमार ने बताया कि गांव बलवंतपुरा को तत्कालीन ठाकुर बलवंत सिंह ने बसाया था।उनके नाम पर ही इस गांव का नामकरण हुआ था। गांव की बसावटके साथ ही ठाकुरजी का मंदिर बना था।

<p>गढ़ के साथ रखी गई थी ठाकुरजी मंदिर की नींव</p>
आओ गांव चलें—
ठाकुर बलवंत सिंह ने बसाया था गांव बलवंतपुरा


नवलगढ़. उपखण्ड मुख्यालय नवलगढ़ से करीब छह किमी दूर गांव बलवंतपुरा 300 वर्ष का इतिहास समेटे हुए हैं। गांव के सुभाष बुगालिया व देवेन्द्र कुमार ने बताया कि गांव बलवंतपुरा को तत्कालीन ठाकुर बलवंत सिंह ने बसाया था।उनके नाम पर ही इस गांव का नामकरण हुआ था। गांव की बसावटके साथ ही ठाकुरजी का मंदिर बना था। गांव में बने गढ़ का निर्माण करीब 200 वर्ष पूर्व बलवंत सिंह ने शुरू करवाया था। उनके बाद भवानी सिंह व गंगासिंह ने भी गढ़ का निर्माण कार्य जारी रखा। गढ़ की नींव के साथ ही गांव में बने ठाकुरजी के मंदिर की नींव रखी गई थी। गंगासिंह ने गढ़ का निर्माण कार्यअंतिम चरण तक पहुंचाया। गांव में सर्वप्रथम हवेली भूराराम बुगालिया ने विक्रम संवत 2002 में बनवाई थी। करीब दो किमी दूर से गुजर रही रेललाइन का काम 1982 में हुआ था।

मास्टरों का गांव बलवंतपुरा

गांव बलवंतपुरा को किसी जमाने में मास्टरों का गांव कहा जाता था। यहां पर 1962 से लेकर 2002 तक करीब डेढ़ दर्जन शिक्षक सेवानिवृत्त हुए थे। इतने ही शिक्षक वर्तमान में कार्यरत हैं। गांव के प्यारेलाल वर्मा सीआरपीएफ में पुलिस अधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। गांव के सवाईसिंह मालावत सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी तथा लोकपाल रह चुके। गांव के सुरेन्द्र महण थानाधिकारी हैं। गांव में फौज, पुलिस समेत अन्य राजकीय विभागों में भी युवा सेवारत है।

मोरों के कुएं से होती थी पानी की आपूर्ति

गांव में मनसुख राम मोर की ओर से पेयजल के लिए कुआं बनवाया गया था। इसी कुएं से गांव में रहने वाले लोगों को पेयजल की आपूर्ति होती थी। यह कुआं आज भी गांव में मौजूद है। इसके अलावा गांव में बना इच्छापूर्णबालाजी मंदिर, प्राचीन शिवजी का मंदिर भी लोगों की आस्था केन्द्र है।

ये हैं गांव की समस्याएं

सुभाष बुगालिया ने बताया कि गांव में कईमूलभूत सुविधाओं का अभाव है। गांव के विभिन्न मोहल्लों में नालियां नहीं बनी होने के कारण घरों से निकलने वाला गंदा पानी आम रास्तों में जमा रहता है। वहीं गांव की राजकीय प्राथमिक स्कूल को वर्षों बीतने के बाद भी क्रमोन्नति का इंतजार है। गांव में पशु चिकित्सालय भी नहीं है। पशुपालकों को अपने पशुओं के उपचार के लिए नवलगढ़ आना पड़ता है।

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