रेलवे विभाग ने विभिन्न रेल मंडलों में काम कर रहे हज़ारों सेवनिवृत्ति कर्मचारियों को हटाने का निर्देश जारी किया है। रेलवे में 18 जोन हैं, जिनके 70 मंडल ट्रेनों का संचालन करते हैं। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते सफर ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद रहा है। पिछले एक महीने में सिर्फ झांसी रेल मंडल को 129 करोड़ का नुकसान हुआ है। रेलवे का लगातार घाटा बढ़ता ही जा रहा है। अभी यह भी नहीं मालूम कि ट्रेनों का पहिया कब तक थमा रहेगा? मगर रेलवे ने घाटे की भरपाई पर अभी से मास्टर प्लान तैयार करना शुरू कर दिया है।
भारतीय रेलवे बोर्ड लगातार सभी मंडलों के प्रमुखों से सुझाव मांग रहा है। फिलहाल इस साल 2020 में नए कर्मचारियों की कोई नई भर्ती नहीं होगी। महानगरों के जनरल और आरक्षण टिकट काउंटर कम करने पर ही भी विचार चल रहा है। काउंटरों पर कार्यरत कर्मचारियों को दूसरे कार्यों में लगाया जाएगा। ट्रैक मरम्मत कार्य में लगे रेलवे कर्मचारियों की संख्या कम कर ट्रैक मशीन व उपकरणों से काम करने की सलाह दी गई है। हालांकि, रेलवे बोर्ड ने मास्टर प्लान पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया है।
नवीनीकरण कार्यों पर भी लगोगी रोक
कोरोना के मद्देनजर लॉकडाउन के बाद इस साल के अंत तक भारतीय रेलवे तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की कोई नई भर्ती नहीं करेगा। रेलवे बोर्ड सेवानिवृत्त कर्मचारियों की सेवाएं भी नहीं लेगा। कर्मचारियों के अनावश्यक भत्तों पर रोक लगाएगा। बड़े महानगरों में टिकट काउंटरों की संख्या कम करेगा। प्लेटफार्म व अन्य यात्री सुविधाओं के नवीनीकरण कार्यों पर भी रोक लगाई जाएगी। नई रेलवे लाइनों के बजट में कटौती होगी। सरप्लस स्टाफ की छंटनी करके, आवश्यक सेवानिवृत्ति देने पर फैसला लेगा। एप से जनरल टिकट बुक करने की सिफारिश करेगा।