छात्र मंथन सेंगर ने घटना को अंजाम देने का सुनियोजित प्लान तैयार किया था। क्लासरूम में वो कम ही आया करता था। हाल ही में वो क्लासरूम में बुधवार को नजर आया था और उसके बाद शुक्रवार को पहुंचा। कक्षा में महज छह ही विद्यार्थी थे। आगे की पंक्ति में बैठने की पर्याप्त जगह थी। बावजूद, हुकुमेंद्र के पीछे दूसरी पंक्ति में बैठ गया। पीरियड पूरा होने के बाद शिक्षिका क्लासरूम से निकल गईं। इसके बाद उसने चॉक से क्लास के ब्लैक बोर्ड पर ‘मंथन फिनिश’ लिखा और फिर से पीछे आकर बैठ गया। लेकिन, वहां मौजूद किसी ने भी ब्लैक बोर्ड पर मंथन द्वारा लिखे गए शब्दों पर ध्यान नहीं दिया।
हुकुमेंद्र के पीछे बैठते ही उसने जैकेट के भीतर छुपाई पिस्टल निकाली और फायर कर दिया। हुकुमेंद्र कक्षा की टेबल पर धराशाई हो गया। अचानक हुई घटना से वहां मौजूद सभी लोगों में हड़कम्प मच गया। इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, मंथन पिस्टल हाथ में लेकर कॉलेज कैंपस से बाहर निकल गया। छात्रा कृतिका के घर पहुंचने के लिए उसने शॉर्टकट अपनाया। विकास भवन के पीछे की गली से निकलकर जार पहाड़ होते हुए वो चाणक्यपुरम पहुंच गया।
युवती को भी मारी गोली
चाणक्यपुरम में उसने घर के बाहर दादी के साथ बैठी कृतिका के गले में सटाकर गोली मार दी और गली में आगे की ओर भाग गया। जब आगे का रास्ता उसे समझ नहीं आया तो फिर वो वापस लौटा। इसी दरम्यान कृतिका के पिता सुजीत ने उसे पकड़ लिया। इस दरम्यान मंथन ने खुद को गोली मारने की नीयत से एक बार फिर पिस्टल लोड करने की कोशिश की, उसके पास दो कारतूस थे लेकिन इस बार पड़ोसी रिटायर्ड ऑडिटर शिवनारायण मिश्रा ने उसका हाथ पकड़ लिया, जिससे वो खुद को गोली मारने में कामयाब नहीं हो पाया।
अनुशासनहीनता पर हुआ उतारू
आरोपी मंथन सेंगर की गिनती एनसीसी के अनुशासित कैडेटों में थीं। लेकिन, घटना वाले दिन वो अनुशासनहीनता पर उतारू था। वो फ्रूटी पीता हुआ क्लासरूम में दाखिल हुआ और अंदर क्लास चलने के दौरान सन ग्लासेस पहनकर बैठा रहा। अक्सर वो शिक्षिका के पैर छुआ करता था, लेकिन शुक्रवार को उसने ऐसा कुछ नहीं किया। उसके इस बदले हुए हावभाव को साथी छात्रों ने नोटिस भी किया लेकिन बाद में नजरअंदाज कर गए। उन्हें नहीं मालूम था कि मंथन इतना बड़ा कदम उठाने वाला है।