गंभीर कोरोना मरीजों की कट रही है जेब

जांच के लिए कोटा-जयपुर के चक्कर

<p>गंभीर कोरोना मरीजों की कट रही है जेब</p>
एक्सक्लूसिव
हरि सिह गुर्जर

झालावाड़.सरकार कोरोना की जांच तो फ्री कर रही है मगर कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए कराई जाने वाल कई तरह की अन्य जांचे मेडिकल कॉलेज एवं एसआरजी चिकित्सालय में नहीं हो रही है। यह जांचे मरीजों को बाहर निजी लैबों में करानी पड़ रही है। बड़ी विडंबना है कि कोरोना में कराई जाने वाली यह जांचे सभी निजी लैबों में नहीं होकर चुनिंदा में होती है। इस कारण निजी लैब वाले मनमर्जी का शुल्क वसूल रहे हैं। मजबूरन मरीजों को ऊंचे दाम चुकाकर यह जांचें करानी पड़ रही है।
एसआरजी चिकित्सालय में कोविड के भर्ती होने वाले मरीजों में से गंभीर रोगियों के लिए डी डाईमर,सीरम प्रो कलसिस्टोनीन, सीरम फेरटीइन एवं सीआरपी क्वांटीटेटीव जांचे करानी जरूरी है। इन जांचों में डी- डाईमर मरीजों में खून का थक्का तो नहीं बन रहा है इसका पता कराने के लिए कराई जाती है। सीआरपी क्वांटीटेटीव मरीज में कोरोना का इंफेक्शन कितना है, इसका पता कराने के लिए कराई जाती है। इसके अलावा शेष सीरम आईएल-6सीरम प्रो कलसिटोनीन एवं सीरम फेरटीइन मरीजों को टैसीलीजूमैब इंजेक्शन देने से पहले मरीजों की जांच की जाती है। इसमें खून का इंटरलेवल ल्यूकिन जांच करने आदि के काम आती है। इसके बाद ही मरीज को दवा दी जाती है।
लाखों रूपए होते हैं खर्च-
सरकार को झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में यह जांचे शुरू करनी चाहिए, ताकि मरीजों को राहत मिल सके। झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के सूत्रों के मुताबिक 30-40 लाख रुपए में यह जांचे शुरू की जाती है। इसके लिए अलग से मशीन और जांच कीट मुहैया करानी होगी। इतना ही नहीं सरकार कोविड में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। यह जांचे अभी शुरू करवाई जाती है तो यह कोविड के बाद भी मरीजों के काम आ सकेगी। यह जांचे हार्ट एवं अन्य बीमारियों में भी कराई जाने वाली है।
मेडिकल स्तर पर हो जांच-
चिकित्सा सूत्रों ने बताया कि कोविड में मरीजों की जरूरी जांच निजी लैब से कराकर मरीजों को लूटा जा रहा है। जिले के एक दर्जन से अधिक गंभीर मरीजों को जांचों के अभाव कोटा, जयपुर जाना पड़ा है। कोरोना के लिए
टैसीलीजूमैब इंजेक्शन देने से पहले कुछ जांच करानी जरूरी है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि झालावाड़ मेडिकल कॉलेज स्तर पर यह जांचे शुरू करनी चाहिए। ताकि मरीजों को सस्ता और सहज इलाज मुहैया हो सके। जब सरकार कोरोना में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है फिर इन जांचों को शुरू करने में थोड़ा बजट तो खर्च कर ही सकती है। यह जांचे सरकारी स्तर पर शुरूहोने से आमजन को राहत मिलेगी साथ ही अनावश्यक खर्च भी वहन नहीं करना पड़ेगा। मरीज भी निजी लैबों में लूटने से बचेंगे।
कोविड में ये है जरूरी जांचे-
डी-डाईमर- 1300-1400
सीरम आइएल-6- 2200-2500
सीरम प्रो- कलसिटोनी- 2600-2800
सीरम फेरटीइन-600-700

बिना जांच के अपनी रिस्क पर लगवाया-
एसआरजी चिकित्सालय में कोरोना के एक ही मरीज को टैसीलीजूमैब इंजेक्शन लगाया गया। वो गंभीर रोगी होने पर मरीज की रिस्क पर लगाया गया है। जबकि यह ंगंभीर मरीजों को लगाया जाना जरूरी होताहै,इसके लिए जांच होना जरूरी है।
जांचे तो जरूरी है-
कोरोना मरीजों के लिए ये जांचे जरूरी है, लेकिन अभी हमारे पास नहीं हो रही है, इनमें से एकाध जांच तो शुरू हो जाएंगी। लेकिन बाकी के लिए कीट व मशीन नहीं है।कोटा में निजी लैब में हो रहे हैं। जांच की जरूरत तो है इस बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराएंगे।
डॉ. राजेन्द्र गुप्ता, अधीक्षक, एसआरजी चिकित्सालय, झालावाड़।
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