झालावाड़

अस्पताल में एसडीपी के लिए कीट नहीं, बाहर ये लाने नहीं दे रहे, मरीजों की जान सांसत में

-मेडिकल कॉलेज में 20 लाख से अधिक की एसडीपी जमी है धूल

झालावाड़Oct 27, 2020 / 08:24 pm

harisingh gurjar

अस्पताल में एसडीपी के लिए कीट नहीं, बाहर ये लाने नहीं दे रहे, मरीजों की जान सांसत में,अस्पताल में एसडीपी के लिए कीट नहीं, बाहर ये लाने नहीं दे रहे, मरीजों की जान सांसत में,अस्पताल में एसडीपी के लिए कीट नहीं, बाहर ये लाने नहीं दे रहे, मरीजों की जान सांसत में

झालावाड़.जिले के सबसे बड़े एसआरजी चिकित्सालय में करीब चार माह पहले एसडीपी मशीन को लाइसेंस मिल गया है। लेकिन कीट व तकनीकी स्टाफ के अभाव में मशीन धूल फांक रही है। हालांकि करीब चार माह डमी कीट से जरूर एसडीपी करके मरीजों को चढ़ाई गई है। लेकिन अब गंभीर मरीजों को इसकी सुविधा मुहैया नहीं हो पा रही है।
सूत्रों ने बताया कि एसआरजी चिकित्सालय में जिले सहित मध्यप्रदेश तक के करीब 15-20 मरीज हर माह ऐसे आते है,जिन्हे एसडीपी यानि सिंगल डोनर प्लेट्लेट्स की जरूरत पड़ती है। लेकिन चिकित्सा विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मरीज व परिजनों की परेशानी तब ओर बढ़ जाती है। जब जिम्मेदारी अधिकारी रात को संतोषप्रद जवाब नहीं देते हैं।
डमी कीट के बाद नहीं कर रहे एसडीपी-
एसआरजी चिकित्सालय में मशीन के साथ आए डमी कीट से ही कुछ दिन एसडीपी की गई है,उसके बाद से तीन माह से एसडीपी नहीं की जा रही है। ऐसे में मरीजों को कोटा जाना पड़ रहा है। ऐसे में हिमोफिलिया व अन्य मरीजों को जरूरत पडऩे पर एसडीपी की सुविधा मुहैया नहीं हो पा रही है। ऐसे हालात में बाहर 8-9 हजार रूपए देकर एसडीपी करवानी पड़ रही है।

इन्हे होती है जरूरत-
चिकित्सकों का कहना है कि भर्ती मरीज जिनकी ब्लड प्लेटलेट 20-25 हजार तक रह जाती है, उन्हें एसडीपी प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मरीज को यदि शरीर के किसी भी भाग से ब्लीडिंग होती है या फिर उसकी ब्लड प्लेटलेट 10 हजार से कम हो तो गंभीर स्थिति में मरीज को प्लेटलेट चढ़ानी जरूरी होती है।
ऐसे बताई परेशानी-
8 वर्षीय बालिका अंशुल के दादा हीरा लाल पाटीदार ने बताया कि बालिका अंशुल को 16000 ही प्लेटलेट्स रह गई थी। इसलिए एसडीपी चढ़ाने के लिए बोला गया लेकिन इस एसआरजी चिकित्सालय में तकनीकी स्टाफ नहीं होने से रात को दो डोनर आने के बाद भी एसडीपी नहीं करवाई गई। हम बाहर से एसडीपी करवाने को तैयार थेए लेकिन चिकित्सालय वाले बाहर की एसडीपी लेने से मना कर रहे हैं। ऐसे में मरीज को जरूरत होने के बाद भी समय से नहीं मिल रही है। हमने दो एबी पॉजिटिव डोनर रात को ही बुला लिए अधिकारियों से खूब कहा लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। उच्चाधिकारियों को भी रात को खूब फोन लगाए लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया।
कीट खत्म हो गए है, टैंडर करवा दिए-
एसडीपी मशीन तो कभी की आ गई है, लेकिन कीट खत्म हो गए है। 15 दिन पहले टैंडर कर दिए है। प्लेट लेट तो मिल रही है, लेकिन एसडीपी कीट आने के बाद ही मिलेगा।
डॉ.राजेन्द्र गुप्ता, अधीक्षक, एसआरजी चिकित्सालय, झालावाड़।

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