जिले में स्क्रब टाइफस के 13 मरीज, बेकाबू हो रहा रोग

-खानपुर क्षेत्र में आ रहे सबसे ज्यादा मरीज

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झालावाड़. जिले में स्क्रब टाइफस बीमारी के कई मामले सामने आ रहे हैं।
जिले में अब तक स्क्रब टाइफस के 13 मरीज सामने आ चुके हैं। पिस्सुओं के काटने से होने वाली इस बीमारी में भी डेंगू की तरह प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती है। यह खुद तो संक्रामक नहीं लेकिन इसकी वजह से शरीर के कई अंगों में संक्रमण फैलने लगता है। ऐसे में मरीज को तुरंत प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है। जिले में स्क्रब टाइफस, मलेरिया आदि के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को जिले में खानपुर क्षेत्र में एक नया मरीज स्क्रब टाइपस का सामने आया हैं। अभी तक की बात करें तो टाइपस के मरीजों की संख्या 13 पहुंच चुकी है। जिले में गत वर्ष भी स्क्रब टाइफस से जिले में 6 लोगों की मौत हो चुकी है। सर्दी बढऩे के साथ ही डेंगू, सदी-जुखाम, मलेरिया आदि के मरीजों की संख्या बढ़ती हैए इन दिनों चिकित्सालय में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि चिकित्सा विभाग हर मौहल्ले व गली में स्क्रप टाइफस के रोग पर काबू के लिए छीड़काव करवा रहा है।

ऐसे फैलता है स्कब टाइफस-
ये रोग पिस्सू के काटते ही उसके लार में मौजूद एक खतरनाक जीवाणु रिक्टशिया सुसुगामुशी मनुष्य के रक्त में फैल जाता है। सुसुगामुशी दो शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ होता है सुसुगारू छोटा व खतरनाक और मुशी मतलब माइट। इसकी वजह से लिवरए दिमाग व फेफड़ों में कई तरह के संक्रमण होने लगते हैं और मरीज मल्टी ऑर्गन डिसऑर्डर के स्टेज में पहुंच जाता है।

इन्हें ज्यादा खतरा-
स्क्रब टाइफस का खतरा पहाड़ी इलाके,जंगल और खेतों के आस-पास ये पिस्सू ज्यादा पाए जाते हैं। लेकिन शहरों में भी बारिश के मौसम में जंगली पौधे या घने घास के पास इस पिस्सू के काटने का खतरा रहता है।
ऐसे करें इलाज
लक्षण व पिस्सू द्वारा काटने के निशान को देखकर रोग की पहचान होती है। ब्लड टेस्ट के जरिए सीबीसी काउंट व लिवर फ्ंकशनिंग टेस्ट करते हैं। एलाइजा टेस्ट व इम्युनोफ्लोरेसेंस टेस्ट से स्क्रब टाइफस एंटीबॉडीज का पता लगाते हैं। इसके लिए 7.14 दिनों तक दवाई चलती है। इस दौरान मरीज कम तला.भुना व लिक्विड डाइट लें। कमजोर इम्युनिटी या जिन लोगों के घर के आसपास यह बीमारी फैली हुई है उन्हें डॉक्टर हफ्ते में एक बार प्रिवेंटिव दवा भी देते हैं।
ये बीमारी के लक्षण-
चिकित्सकों ने बताया कि पिस्सू के काटने के दो हफ्ते के अंदर मरीज को तेज बुखारए102.10 डिग्री फॉरेनहाइट, सिर दर्द,खांसी, मांसपेशियों में दर्द व शरीर में कमजोरी आने लगती है। पिस्सू के काटने वाली जगह फफोलेनुमा काला निशान दिखता है। इसका समय रहते इलाज न हो तो रोग गंभीर होकर न्यूमोनिया का रूप ले सकता है। कुछ मरीजों में लिवर व किडनी ठीक से काम नहीं कर पाते जिससे वह बेहोशी की हालत में चला जाता है। रोग की गंभीरता के अनुरूप प्लेटलेट्स की संख्या भी कम होने लगती है। ऐसे में कोरोना संक्रमण के दौरान जिले में समय रहते इस बीमारी पर रोकथाम जरुरी है।

साधारण इलाज है-
स्क्रब टाइफस बारिश के बाद होता हैए इसमें मरीज को तेज बुखार आता हैए सिर दर्द होता है। मरीज को ज्यादा समय तक बुखार आता है और उपचार देर से लेता है तो ये रोग लीवर, गुर्दे आदि को प्रभावित करता है। इसका समय से इलाज लेना चाहिएए इसका साधारण उपचार है। मरीज 5 से 7 दिन में सही हो जाता है।
डॉ. आरएन मीणा, वरिष्ठ फिजीशियन,मेडिकल कॉलेज व एसआरजी चिकित्सालय,झालावाड़।
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