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वायरस की पिष्टि के बाद 926 पक्षी किये गए डिस्पोज
बता दें कि, मध्य प्रदेश में अब तक कौवा, कबूतर, तोता आदि पक्षियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी। लेकिन, झाबुआ स्थित रूंडीपाड़ा गांव के एक कड़कनाथ पोल्ट्री फॉर्म पर मुर्गें में NH5N1 वायरस की पुष्टि होने से प्रशासन की चिंताएं बढ़ गई हैं। हालांकि, कड़कनाथ में वायरस की पुष्टि होने के बाद जिले के पशु चिकित्सा विभाग की ओर से रूंडीपाड़ा गांव के 926 पक्षियों को डिस्पोज कर दिया गया है। इनमें से 902 पक्षी विनोद मेड़ा के पोल्ट्री फॉर्म के थे, बाकी 24 पक्षी आसपास के 8 घरों में भी थे, जिन्हें भी विभाग द्वार डिस्पोज कर दिया गया है। प्रशासन ने आदेश जारी कर दिए हैं कि पोल्ट्री फॉर्म और उसके आसपास के 1 किमी दायरे में अगले तीन महीने तक मुर्गीपालन और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।
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इसलिये सरकार की बढ़ी चिंता
दुलर्भ प्रजाति में आने के कारण कड़कनाथ को बचाने के लिये प्रदेश सरकार बीते 10 वर्षों से अथक प्रयास कर रही है। इसे वैश्विक प्रसिद्धि दिलाने में भी प्रदेश सरकार का अहम योगदान है। यही कारण है कि, कड़कनाथ में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद भोपाल से भी टीम झाबुआ पहुंच गई है। इस काले मुर्गे को पिछले 10 सालों में सरकार और प्रशासन ने भरसक कोशिश कर वैश्विक पहचान दिलाई है। सहकारी समितियों और स्व सहायत समूहों के जरिये कड़कनाथ मुर्गा पालन को बढ़ावा दिया गया है। ऐसे में जरा सी चूक सरकार की इतने सालों की मेहनत पर पानी फेर सकता है।
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जानिये पालने वाले की कहानी
रूंडी पाड़ागांव के विनोद मेड़ा ऐसी ही एक सहकारी समिति से जुड़ कर कड़कनाथ मु्र्गी पालन करते थे। विनोद को पहचान तब मिली जब वे 2018 में मध्य प्रदेश सरकार के कड़कनाथ एप से जुड़े, जिसके बाद से उनके पास देशभर से मुर्गों और चुजों के ऑर्डर आने लगे। पिछले साल नवंबर में भारतीय किक्रेट टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने विनोद मेड़ा को 2000 चुजों का ऑर्डर दिया था, जिसकी डिलेवरी इसी महीने होनी थी। लेकिन, बर्ड फ्लू के चलते धोनी समेत कई बड़ी छोटी पार्टियों ने ऑर्डर तो कैंसिल किये ही, साथ ही साथ संक्रमण की पुष्टि होने पर विनोद के फार्म के सारे पक्षी भी नष्ट किये जा चुके हैं। विनोद ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है। वहीं, प्रशासन ने भी विनोद की विधा समझते हुए उन्हें उचित मुआवजा प्रदान करने का आश्वासन दिया है।
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