झोपड़ी में लगी आग, मजदूर परिवार के 3 बच्चे जिंदा जले

आग लगने से झोपड़ी में मौजूद 3 बच्चों की जलकर मौत हो गई। जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें 2 भाई-बहन आलीराजपुर जिले के सियाली के रहने वाले थे। वहीं, तीसरा बच्चा झाबुआ जिले के हट्‌टीपुरा का था।

<p>झोपड़ी में लगी आग, मजदूर परिवार के 3 बच्चे जिंदा जले</p>

झाबुआ/ मध्य प्रदेश के झाबुआ और आलीराजपुर जिले से गुजरात के पोरबंदर जिले के हनुमानगढ़ मजदूरी करने गए परिवार की झोपड़ी में आग लग गई। आग लगने से झोपड़ी में मौजूद 3 बच्चों की जलकर मौत हो गई। जिन बच्चों की मौत हुई, उनमें 2 भाई-बहन आलीराजपुर जिले के सियाली के रहने वाले थे। वहीं, तीसरा बच्चा झाबुआ जिले के हट्‌टीपुरा का था। मृतक बच्चों में से एक के परिवार का कहना है कि, झाबुआ के रहने वाले मृतक बच्चे के पिता की मौत पिछले साल हो गई थी। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब थी। सरकार की ओर से भी कोई राहत न मिलने से मायूस बच्चे की मां उसे लेकर मजदूरी करने गुजरात चली गई थी।

 

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संबल योजना का पैसा नहीं मिलने पर मजदूरी करती थी मां

बता दें कि, हादसा शुक्रवार का है, हादसे के समय तीनों बच्चों के परिवार के लोग मजदूरी पर गए थे। तीनों बच्चे घर में ही मौजूद थे। मिली जानकारी के अनुसार, आग लगने के कारण उठे धुंए से बच्चों का दम घुट गया था, जिससे वो बेहोश हुए होंगे। हालांकि, कुछ ही देर में पूरी झोपड़ी में आग फैल जाने से तीनों बच्चे बुरी तरह जल गए। हालांकि, घटना के बाद फायर ब्रिगेड की मदद से आग पर काबू पाया गया। साथ ही तीनों शवों को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भी भेज दिया गया। जहां से शनिवार को तीनों बच्चों के शव उनके गांव पहुंचाए गए। शनिवार को ही बच्चों का अंतिम संस्कार किया गया। एक बच्चे के परिजन ने सरकारी तंत्र पर भी आरोप लगाया, उनका कहना है कि, पंचायत अगर मृतक की विधवा को संबल योजना का लाभ दे देती, तो न ही वो अपने बच्चे को लेकर मजदूरी करने कहीं बाहर जाती और न ही उसके साद ये हादसा होता।

 

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हादसे में इन बच्चों की हुई मौत

हादसे का शिकार होकर अपनी जान गंवाने वाले मासूमों में 4 साल की लक्ष्मी पिता दिलीप मसानिया निवासी मसानिया फलिया हट्‌टीपुरा के रहने वाले हैं। इसके अलावा, 4 साल के रवि पिता मुकेश बामनिया और उसकी 3 साल की बहन निर्मला निवासी बाबादेव फलिया सियाली में रहते हैं।

चार दिन पहले 6 मजदूरों की मौत हुई थी गुजरात में

4 दिन पहले ही जिले के लोंगों के साथ गुजरात में हुई ये दूसरी बड़ी घटना है। 11 फरवरी की रात पारा के पास के गांवों के मजदूरों से भरी पिकअप मेहसाणा जिले के खेरालु में सड़क से उतरकर पेड़ से टकरा गई थी। इस हादसे में भी 6 मजदूरों की जा चली गई थी, साथ ही 7 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। ये मजदूर लोग कच्छ के नलियाना रामपुरा में पानी की टंकी बनाने के बाद हिम्मतनगर के सांबरकांठा की ओर जा रहे थे।

 

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पंचायत ने कागज तैयार नहीं किए

मृतक बच्चे के परिवार की माने तो, मुकेश की मृत्यु पर पंचायत ने उसे संबल योजना का लाभ दिलाने में लापरवाही बरती। सरपंच, सचिव ने कागजात ही तैयार नहीं करवाए, जिससे परिवार शासन से मिलने वाले लाभ से वंचित रह गया। आर्थिक स्थिति कमजोर होने से लक्ष्मी की मां अपने दोनो बच्चों को लेकर मजदूरी करने गुजरात चली गई थी। बेटा उस समय झोपड़ी में नहीं था। क्षेत्र की ग्राम पंचायत भोरकुंडिया के सचिव मानसिंह से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी। राणापुर जनपद पंचायत के सीईओ जोशुआ पीटर ने कहा, सरकार ये जवाब दे कि, मतक बच्चे के पिता की मृत्यु एक साल पहले ही हो चुकी थी। दिलीप की मौत के बाद योजना का लाभ क्यों नहीं मिला। उन्होंने सख्त अलफाजों में कहा कि, दोषी पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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