भोग से लेकर उत्पत्ति को देर्शाता है उड़ीसा का लिंगराज मंदिर

एनआईटी के प्रोफे्रसर और असि. प्रोफेसर ने किया शोध, 9वें इंटरनेशनल रिसर्च कांफ्रेंस 2020 मिला बेस्ट रिसर्च का अवार्ड

<p>भोग से लेकर उत्पत्ति को देर्शाता है उड़ीसा का लिंगराज मंदिर</p>
डॉ. संदीप उपाध्याय@रायपुर. एनआईटी रायपुर के आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. अबीर बंदोपाध्याय और असि. प्रोफेसर एस. प्रामाणिक ने उड़ासा के लिंगराज मंदिर पर अपने 25 सालों के शोध को पूरा किया है। उनके इस रिसर्च को ज़्यूरिख स्विटजऱलैंड में आयोजित 9वें इंटरनेशनल रिसर्च कांफ्रेंस 2020 बेस्ट रिसर्च के अवार्ड से सम्मानित किया गया है। डॉ. बंदोपाध्याय का कहना है कि इस मंदिर प्रवेश द्वार से लेकर गर्भ गृह तक का अध्ययन करे तो यह पता चलता है कि यह संसार भगवान रूपी एक शक्ति के द्वारा रचा गया है। डॉ. अबीर ने पत्रिका से खास बातचीत करते हुए बताया कि हमारे जो पुराने हिंदू शा. हैं उनसे पता चलता है कि मंदिर का अलग-अलग नाम उन्हीं के आधार पर दिया गया है। उन्होंने उड़ीसा के लिंगराज मंदिर में अपना शोध पूरा किया। इसमें पता चलता है कि इस मंदिर में प्रवेश द्वार से लेकर गर्भ गृह तक अलग-अलग मंदिर हैं। इसमें पहला भोग मंदिर है। यहां हम जो संसार भोगते हैं उसका अहसास कराता है। इसके बाद नाग मंदिर आता है। में यह अनुभव होता है कि संसार एक काल चक्र में कैसे घूमता है। यहां उद्गम और विलय को एक वृत्त की तरह देखा गया है। इसके बाद जगमोहन मंदिर आता है। यहां आकर ऐसा लगता है जो भी चीजें है वह बहुत अच्छी है। भगवान के द्वारा ही बनाया गया पूरा जगत है। जैसे ही गर्भ गृह पहुंचते हैं तो वहां मूर्ति को देखकर लगता है तो एक भ्रूण की स्थिति का अहसास होता है। यह एक वस्तु में है भी और नहीं भी है। वेद में भी भगवान को निराकार बताया गया है। यहां जब हम शिखर में जाते हैं तो भूर्ण से निराकार की तरफ ले जाता हुआ दर्शाता है। अम्लकालेश्वर मंदिर के घट या कलश को निराकार को दिखाता है। उनके साथ गए असिस्टेंट प्रोफेसर एस प्रामाणिक ने मॉर्डन टेक्निक का इस्तेमाल करते हुए एक कंप्यूटर बेस्ड सॉफ्टवेयर की मदद से इस मंदिर का अध्ययन किया। उन्होंने देखा कि मंदिर कहां-कहां से कितना दूर तक देखा जा सकता है और जब वहां से हम भगवान की मूर्ति के पास जाते हैं तो अपनेआप हमारी दृष्टि भगवान पर ही केंद्रित हो जाती है।
20 देशों में सबसे बेस्ट रिसर्च

ज़्यूरिख, स्विटजऱलैंड में आयोजित 9वें इंटरनेशनल रिसर्च कांफ्रेंस में 20 देशों ने हिस्सा लिया और अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। यहां डॉ. अबीर ने हिन्दू टेम्पल की वास्तुकला को समझना एक दार्शनिक व्याख्या विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया। इसके लिए उन्हें बेस्ट पेपर प्रेजेंटेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया। वहीं दूसरी तरफ एस प्रामाणिक ने ओडिशा में लिंगराज मंदिर का विश्लेषण विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया जिसके लिए उन्हें भी बेस्ट पेपर प्रेजेंटेशन अवार्ड दिया गया।
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