जम्मू: भारत पूरी दुनिया में अलग पहचान रखता है। हर चीज में विविधिता भले ही हो पर उसके बाद भी लोग जिस एकता के साथ रहते हैं उसके सभी कायल हैं। कदम—कदम पर सांप्रदायिक सद्भावना के जो उदाहरण देखने को मिलते है वह इसके धर्मनिपेक्ष ढांचे को और मजबूती प्रदान करते हैं। कोरोना काल में सभी धर्म, समुदाय जिस तरह से एक दूसरे की सेवा में लगे हैं वह और भी काबिल—ए—तारीफ है। श्री माता वैष्णो देवी मंदिर ने इस दिशा में बड़ा कदम बढ़ाया है जिसकी सभी सरहाना कर रहे हैं।
हर सुविधा मुहैया करवाई…
दरअसल कोरोना वायरस के एहतियाती उपयों के तहत संदिग्ध लोगों को उनके जिले में ही क्वारेंटाइन किया जा रहा है। मार्च में देश में जैसे ही कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने लगे श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने कटरा स्थित अपने आधार शिविर आशीर्वाद भवन को क्वारंटाइन सेंटर में बदल दिया। इस सेंटर में सभी समुदायों के लोग एक साथ बड़े प्यार से रह रहे हैं। रमजान को ध्यान में रखते हुए श्राइन बोर्ड ने मुस्लिमों के लिए सहरी और इफ्तारी की व्यवस्था की। पवित्र महीने के दौरान मुस्लिम श्रद्धालुओं को सभी सुविधाएं मंदिर प्रशासन की ओर से मुहैया करवाई गई।
की कल्याण की प्रार्थना…
इस सेंटर में लगभग 500 मुस्लिम क्वारेंटाइन हैं। यह सभी बाहरी राज्यों से आने वाले श्रमिक हैं। यह संख्या घटती बढ़ती रहती है। श्राइन बोर्ड के सीईओ रमेश कुमार का कहना है कि मंदिर रमजान के पवित्र महीने में लोगों को पारंपरिक सहरी और इफ्तारी दे रहा है। यहां मुस्लिम श्रद्धालुओं ने पूरे रमजान महीने में अपने रीति रिवाजों के अनुसार रोजे रखे। इन्हें किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आए इसका मंदिर प्रशासन की ओर से पूरा ध्यान रखा गया। खास बात यह है कि आशीर्वाद भवन में बने क्वारेंटाइन सेंटर में नमाज भी अदा की गई। हिंदू—मुस्लिम ने साथ मिलकर देश और दुनिया के कल्याण के लिए प्रार्थना की।
रमजान में मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे 29 या 30 दिनों तक रोजा रखते हैं। रमजान का रोजा सुबह सूरज निकलने से पहले फज्र की अजान के साथ शुरू होता है और शाम को सूरज ढलने पर मगरिब की अजान होने पर खोला जाता है। रमजान में सहरी और इफ्तार करने की भी काफी फजीलत होती है। सहरी सुबह फज्र की अजान से पहले खाने-पीने को कहते हैं और इफ्तार शाम को मगरिब की अजान होने पर रोजा खोलने को कहा जाता है। श्राइन बोर्ड को अपने टाइम टेबल से हटके इस समय के अनुसार ही मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए खाने पीने की व्यवस्था करनी पड़ रही है। बोर्ड के सीईओ रमेश कुमार के मुताबिक हमने उनके रहने की व्यवस्था के साथ-साथ खाने का भी प्रबंध किया हुआ है और इस समय रमजान का महीना है और ईद भी पास है तो हमने उसी हिसाब से उनको खाना दे रहे हैं और ईद के दिन यहां पर उनको ईद मनाने की भी पूरी सुविधा दी जाएगी क्योंकि यह लोग अपने घरों से बाहर इस सेंटर में है तो यहां पर ईद का त्यौहार भी नियमों के अनुसार ही मनाया जाएगा।
यही है भारत की विशेषता…
प्रशासन की ओर से अन्य कामगारों को भी लाने का प्रयास किया जा रहा है। रियासी जिले के अन्य कामगारों को भी इसी क्वारेंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। रमेश कुमार ने कहा कि अन्य लोग भी यहां आते है तो उनके स्वास्थय के साथ—साथ उनकी धार्मिक आस्थाओं का भी पूरी तरह ध्यान रखा जाएगा। मंदिर प्रशासन के इस कदम को लेकर यहां रह रहे हर समुदाय के व्यक्ति का कहना है कि रमजान, ईश्वर, परिवार और समुदाय के करीब जाने का समय है, लेकिन महामारी ने उन परंपराओं को फिलहाल रोक रखा है। लोगों का कहना है कि मुश्किल समय में मंदिर लोगों की मदद कर रहा है ये देखकर अच्छा लग रहा है और यही हमारे देश की संस्कृति और विशेषता है।