जम्मू-कश्मीर:आतंकी गतिविधियों और कानून व्यवस्था से केन्द्र सरकार की नाराजगी बताई जा रही डीजीपी बदलने की अहम वजह…!

पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि डीजीपी बदलना प्रशासन का विशेषाधिकार है, लेकिन नए डीजीपी अस्थायी व्यवस्था के रूप में क्यों…

(पत्रिका ब्यूरो,जम्मू) जम्मू-कश्मीर पुलिस के खुफिया विंग के प्रमुख को बदलने के कुछ दिन बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक शीशपाल (एसपी) वैद को हटाए जाने पर इस अशांत प्रदेश में चर्चाएं तेज हो गई हैं। यह बदलाव ऐसे समय किए गए जब राज्य में नगरपालिका और पंचायत चुनाव के आयोजन की तैयारियां की जा रही हैं।

 

 

1987 बैच के भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी डीजी (जेल) दिलबाग सिंह को अस्थाई तौर पर डीजीपी का कार्यभार भी सौंपा गया है। 1986 बैच के आईपीएस वैद को पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार ने डीजीपी नियुक्त किया था। अब उन्हें परिवहन आयुक्त बनाया है।

 

 

उल्लेखनीय है कि इस सप्ताह की शुरुआत में अब्दुल गनी मीर के स्थान पर डॉ बी श्रीनिवास को खुफिया शाखा का मुखिया बनाया गया था। सरकारी सूत्रों ने पत्रिका को बताया कि सुरक्षा मामलों पर सरकार के सलाहकार के विजय कुमार पुलिस में शीर्ष स्तर पर बदलाव के इच्छुक थे। सरकार ने वैद को पहले ही बदलाव के बारे में सूचित कर दिया था।


वहीं इन तबादलों को हाल ही में हुई दक्षिणी कश्मीर की घटना से जोड़ कर भी देखा जा रहा है, जिसमें हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर रियाज नायकू के पिता को हिरासत में लेने के बाद आतंकवादियों ने पुलिसकर्मियों के कम से कम 11 करीबी रिश्तेदारों का अपहरण कर लिया था। नायकू के पिता की रिहाई के बाद आतंकियों ने इन रिश्तेदारों को मुक्त किया था।

 

गौरतलब है कि आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन द्वारा पुलिस कर्मियों के 11 संबंधियों को अगवा करने, बढ़ रही आतंकी हिंसा और अव्यवस्था जैसे हालात के मद्देनजर राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के बदले जाने की सुगबुगुहाट शुरू हो गई थी।

 

केंद्र पुलिसकर्मियों के परिजनों के अपहरण की घटनाओं और इससे निपटने के तरीके और दक्षिण कश्मीर में बेकाबू कानून व्यवस्था से निपटने में विफलता से नाराज है। पुलिस जवानों का हौसला बनाए रखने के लिए भी फेरबदल की आवश्यकता महसूस की गई।


सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों केंद्र सरकार ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को अपनी चिंता से अवगत कराते हुए नए डीजीपी की तैनाती को कहा था। इसके बाद से ही दिलबाग सिंह और एसएम सहाय का नाम डीजीपी पद के लिए चर्चा में था।


उधर, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि डीजीपी बदलना प्रशासन का विशेषाधिकार है, लेकिन नए डीजीपी अस्थायी व्यवस्था के रूप में क्यों? ऐसे में नए डीजीपी को पता नहीं होगा कि वह कब तक पद पर रहेेंगे। कई लोग उनकी जगह लेने में जोड़ तोड़ में जुटे रहेंगे। यह जम्मू कश्मीर पुलिस के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।

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