आरएसी हैडकांस्टेबल ने तोड़ा आरएएस परीक्षा का तिलिस्म, चौथी बार में पाई सफलता
इस तरह रची सफलता की इबारत
दिनेश की प्रतिभा की पहचान कर इस लक्ष्य पर बढऩे के लिए इनके माता-पिता एवं गुरुजनों ने प्रोत्साहित किया। सर्व प्रथम पटवारी के रूप में 2008 में दिनेश का चयन हुआ। छोटे भाई अनिल सारण जो पूर्व में शिक्षक रह चुके है। इसका चयन आरएएस 2016 में 74 रैंक से हुआ था जो अभी प्रशिक्षु आरपीएस के रूप में आरपीए में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है। छोटा भाई विकास सारण अभी नायब तहसीलदार के पद पर आबूरोड में कार्यरत है। तीनों भाई अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता व सहपाठियों व गुरुदेव को देते हैं।
इस तरह रची सफलता की इबारत
दिनेश की प्रतिभा की पहचान कर इस लक्ष्य पर बढऩे के लिए इनके माता-पिता एवं गुरुजनों ने प्रोत्साहित किया। सर्व प्रथम पटवारी के रूप में 2008 में दिनेश का चयन हुआ। छोटे भाई अनिल सारण जो पूर्व में शिक्षक रह चुके है। इसका चयन आरएएस 2016 में 74 रैंक से हुआ था जो अभी प्रशिक्षु आरपीएस के रूप में आरपीए में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है। छोटा भाई विकास सारण अभी नायब तहसीलदार के पद पर आबूरोड में कार्यरत है। तीनों भाई अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता व सहपाठियों व गुरुदेव को देते हैं।