जालोर

#JALORE सोशल मीडिया सिखा रहा शराब बनाने के तरीके!

हजारों की संख्या में वीडियो मौजूद जहां अवैध तरीके बताए जा रहे, लॉक डाउन की अवधि में भी खासे वीडियो हुए अवलोड

जालोरJul 01, 2020 / 07:17 am

Khushal Singh Bati

हजारों की संख्या में वीडियो मौजूद जहां अवैध तरीके बताए जा रहे, लॉक डाउन की अवधि में भी खासे वीडियो हुए अवलोड

खुशालसिंह भाटी

जालोर. मनमर्जी से शराब बनाना और उसका प्रचार करना गैर कानूनी है और इस संबंध में आबकारी अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है। लेकिन सोशल मीडिया पर अवैध शराब बनाने और उसे प्रचारित करने से रोकने लिए न तो कोई कानूनी प्रावधान है न ही कोई स्पष्ट गाइड लाइन, जो एक बड़े खतरे का संकेत है। दूसरी तरफ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अनेकों वीडियो उपलब्ध है, जिनके माध्यम से शराब बनाने के तरीके बताए जा रहे हैं। ये हालात स्पष्ट कानूनी प्रावधानों के अभाव में मानव जीवन के लिए खतरे का कारण भी बन सकते हंै। इन चैनल्स पर केवल अवैध शराब ही नहीं, बीयर बनाने के तरीके भी अपलोड किए गए हैं। ये कितने कारगर और सही है यह जांच का विषय है, लेकिन सीधे तौर पर इन्हें अवैध शराब बनाने के तरीकों को प्रचारित करने के रूप में देखा जा सकता है।


बहुत से चैनल पर यह जानकारी उपलब्ध

चौंकाने वाला तथ्य यह है कि यह गैर कानूनी सामग्री सोशल मीडिया पर बकायदा उपलब्ध है और इससे संबंधित चैनल तक बने हुए हैं। यहां एक दो नहीं हजारों की तादाद में वीडियो के माध्यम से अवैध शराब बनाने के तरीके उपलब्ध है। ये तरीके घातक है और अवैध शराब बनाने के तरीकों को प्रचारित भी करते हैं। चूंकि ये चैनल देशभर के कई क्षेत्रों से संचालित है। इसलिए इस पर बड़े स्तर पर पड़ताल के साथ कार्रवाई की दरकार है।


लॉक डाउन के दौरान अपलोड अधिक हुए

गंभीर चिंता के साथ साथ जांच का विषय यह भी है कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान इनमें से खासे वीडियो अपलोड हुए हैं। इनकी टेग लाइन भी यही डाली गई है। जबकि इस अवधि की बात करें तो शुरुआती एक माह तक देश में लगभग हर क्षेत्र में एक माह तक शराब की खरीद और बिकवाली पर रोक भी थी। ऐसे में इन वीडियो के माध्यम से सीधे तौर पर अवैध तरीके सोशल मीडिया पर परोसे गए हैं।


सजा का प्रावधान

मामले में जिला आबकारी अधिकारी विनोद वैष्णव का कहना है कि हथकढ़ी शराब किसी व्यक्ति से थोड़ी मात्रा में ही क्यों न बरामद हो। प्रकरण दर्ज होता है। प्रकरण बरामदगी के अनुसार दर्ज होता है। प्रकरण में 7 साल तक की सजा का प्रावधन है। लेकिन यह न्यायिक स्तर पर ही निर्धारित होता है।

इनका कहना


जिला स्तर पर सेल गठित है, जो आपराधिक प्रकरणों को टे्रस करने के साथ साथ कार्रवाई करती है। शराब बनाने के तरीके को प्रचारित करने को लेकर अभी तक कोई कानूनी प्रावधान नहीं है। सोशल मीडिया पर डाली गई सामग्री की जांच की जाएगी।
– हिम्मत अभिलाष, एसपी, जालोर


एक्सपर्ट व्यू

शराब बनाने का तरीका सोशल मीडिया पर प्रचारित करने के संबंध में आईटी एक्ट या साइबर क्राइम के अनुसार तो कोई क्राइम नहीं हैं। लेकिन आइपीसी में इसको लेकर कोई प्रावधान हो सकता है। वहीं साइबर क्राइम रोकने के लिए आईटी एक्ट 2008 है, लेकिन उसमें काफी ज्यादा बदलाव की जरुरत है। वर्तमान हालातों में साइबर क्राइम को लेकर कठोर कानून की जरुरत है। साइबर क्राइम को रोकने के लिए संसाधनों के मामले में राजस्थान काफी पीछे हैं और अधिकतर आर्थिक अपराध से जुड़े प्रकरण ही पहुंचते हैं। कम से कम रेंज स्तर पर मजबूत साइबर टीम जरुरत है, लेकिन फिलहाल जयपुर तक ही यह व्यवस्था है। इन हालातों में साइबर क्राइम अधिक होने के बाद भी केस रजिस्टर्ड होने की तादाद कम होती है।
– मुकेश चौधरी, सायबर एक्सपर्ट, जयपुर
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