जालोर

प्रवासी राजस्थानी ने चुकाया मातृभूमि का कर्ज

हुनर को पहचान : गांव से सात समंदर पार पहुंचाया व्यापार

जालोरJul 23, 2021 / 07:22 am

Suresh Hemnani

प्रवासी राजस्थानी ने चुकाया मातृभूमि का कर्ज

जालोर/आहोर। आमतौर पर ऐसा बहुत कम होता है कि मारवाड़ की माटी छोडकऱ गए प्रवासी लौटकर अपनी ही मातृभूमि को कर्मस्थली बनाते हैं। लेकिन, हनुमानाराम घांची अब अपनी मातृभूमि का कर्ज उतार रहे हैं। बावड़ी गांव के निवासी हनुमानाराम बरसों पूर्व गोवा चले गए थे, लेकिन उन्हें वहां संतुष्टि नहीं मिली जो मारवाड़ की माटी में रची-बसी थी। वहां से अपना कारोबार समेत हनुमानाराम लौट आए और अपनी माटी का कर्ज चुकाने तथा ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए करीब तीन साल पूर्व आहोर-जोधपुर मार्ग पर छोटे से गांव निम्बला में वृहद स्तर पर काजू फैक्ट्री की स्थापना की।
करीब 35 बीघा में फैली इस फैक्ट्री से वे वर्तमान में सैकड़ों लोगोंं को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही ड्राई फ्रूट्स का एक्सपोर्ट कर विदेशों में जालोर का नाम रोशन कर रहे हैं। आहोर-जोधपुर सडक़ मार्ग पर निंबला में स्थित इंडस्ट्रीज (एक्सपोर्ट-इंपोर्ट सिंपलेक्स) आहोर क्षेत्र में किसी वरदान से कम नहीं है। यहां से विभिन्न वैरायटी के काजू, बादाम, पिस्ता समेत विभिन्न ड्राई फ्रूट्स एक्सपोर्ट व इम्पोर्ट होते है। यहां सैकड़ों स्थानीय श्रमिकों को स्थाई रोजगार भी मिला है। इंडस्ट्रीज के निदेशक हनुमानाराम घांची बावड़ी बताते हैं कि उनके प्रतिष्ठान में करीब 250 महिला श्रमिक कार्यरत है। जो कि क्षेत्र के अलग-अलग गांवों से है। यहां कार्य करने वाली महिला श्रमिकों में जागरुकता एवं सशक्तिकरण पर विशेष बल दिया जाता है।
विवाह पर उपहार राशि
यहां कार्यरत महिला कार्मिक के विवाह पर कन्यादान स्वरूप उपहार राशि व सामग्री प्रदान कर सुखी दांपत्य जीवन की शुभकामना के साथ उन्हें विदाई दी जाती है। महिला कार्मिक के विवाह पर प्रतिष्ठान की ओर से उसे 25 हजार रुपए का चेक, वस्त्र आभूषण समेत अन्य उपहार भेंट कर आशीर्वाद दिया जाता है। निदेशक घांची बताते हैं कि प्रतिष्ठान में नियमित कार्य करने वाले श्रमिकों को प्रोत्साहन स्वरूप 5 वर्ष की अवधि पर 50 हजार प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी।
श्रमिकों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास
घांची ने बताया कि आने वाले दिनों में प्रतिष्ठान में कार्य करने वाले श्रमिकों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए भविष्य निधि कल्याण कोष से जोडकऱ इन्हें आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास रहेगा। प्रतिष्ठान में कार्यरत श्रमिकों को प्रतिदिन लाने-ले जाने के लिए वाहन सुविधा भी उपलब्ध हैं।

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