टोल एजेंसी निशुल्क आवाजाही का पहले मांग रही भुगतान, नवीनीकरण से कर रही इनकार

जालोर जिले में बीओटी योजना में बनी जालोर-रोहट टोल रोड पर एजेंसी की ओर से सरकारी अधिकारियों के आदेशों को दरकिनार किया जा रहा है। मामले में प्रशासनिक और विभागीय अधिकारी भी एजेंसी को पाबंद नहीं कर पा रहे हैं। जबकि सीधे तौर पर इस टोल रोड का नवीनीकरण अगस्त 2020 में ही होना था

<p>आहोर. आहोर में जोधपुर तिराहे के समीप बिखरा पड़ा टोल रोड। पत्रिका।</p>
जालोर. जालोर जिले में बीओटी योजना में बनी जालोर-रोहट टोल रोड पर एजेंसी की ओर से सरकारी अधिकारियों के आदेशों को दरकिनार किया जा रहा है। मामले में प्रशासनिक और विभागीय अधिकारी भी एजेंसी को पाबंद नहीं कर पा रहे हैं। जबकि सीधे तौर पर इस टोल रोड का नवीनीकरण अगस्त 2020 में ही होना था। टोल रोड पर राजनीतिक हस्तक्षेप होने से ये हालात बन रहे हैं और अधिकारी भी इसलिए मामले में ज्यादा कुछ करने की स्थिति में नहीं है। यह मामला गत 7 सितंबर को धरना प्रदर्शन के बाद ज्वलंत हुआ था और विरोध के बाद रोड नवीनीकरण का आश्वासन आमजन और नेताओं को दिया गया था, लेकिन अब छह माह गुजरने के बाद फिर वैसे ही हालात हैं और टोल एजेंसी कार्य करने से सीधे तौर पर इनकार कर रही है। (एसं)
यह तर्क : पहले दो भुगतान
विभागीय अधिकारियों की मानें तो इस टोल एजेंसी के संचालकों को दर्जनों नोटिस थमाए जा चुके हैं। यही नहीं तय सीमा पूरी होने पर टोल रोड नवीनीकरण के आदेश भी जारी किए, लेकिन इस टोल एजेंसी के संचालक की ओर से कार्य करवाने की बजाय यह तर्क दिया जा रहा है कि टोल पर निजी वाहनों की आवाजाही निशुल्क करने से उन्हें नुकसान हुआ। ऐसे में पहले उस नुकसान की भरपाई की जाए, उसके बाद एजेंसी की ओर से रोड का नवीनीकरण पर विचार किया जाएगा। सीधे तौर पर टोल एजेंसी के आगे अधिकारियों के आदेश केवल कागजी साबित हो रहे हैं।
टोल सस्पेंड की चेतावनी कागजी
पिछले साल बारिश के बाद जालोर-रोहट टोल रोड के बिखराव के चलते लोगों ने विरोध किया था। उस समय अधिकारियों ने टोल एजेंसी को टोल रोड नवीनीकरण का आदेश जारी करने के साथ नीयत समय पर इसे पूरा नहीं करने पर टोल सस्पेंड करने की चेतावनी दी गई थी, लेकिन टोल रोड के नाम पर गड्ढों में सफर करने को लोग मजबूर है और इस रोड पर टोल वसूली बदस्तूर जारी है।
दूसरी एजेंसी करवा रही कार्य
जालोर-रोहट टोल रोड पर राजनीतिक रसूख भारी है। यही कारण है अधिकारी भी इस मामले में ज्यादा हस्तक्षेप करने से कतरा रहे हैं। केवल नोटिस जारी कर कार्य की इतिश्री कर रहे हैं। इधर, शहरवासी मजबूरी में टोल चुकता करते जा रहे हैं। वहीं जालोर-जसवंतपुरा-रेवदर के बीच दूसरी टोल एजेंसी से रोड का निर्माण करवाया था। बारिश के दौरान यह मार्ग भी खराब हो गया था, लेकिन इस एजेंसी से औद्योगिक क्षेत्र तृतीय चरण, भीनमाल बाइपास, बागरा के पास समेत कई अन्य हिस्सों में रोड कारपेट बिछा दिया है। यह मार्ग काफी हद तक बेहतर स्थिति में है।
फिर टोल रोड का क्या औचित्य
सीधे तौर पर वर्ष 2012-13 में जालोर की जनता को आश्वस्त किया गया था कि टोल रोड पर टोल वसूली होने पर बेहतर और राहत भरा सफर मुहैया हो पाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। केवल दो वर्ष बाद ही दोनों ही मार्ग बदहाल हो गए और लोगों ने टोल रोड का विरोध भी जताया। कई लोगों ने टोल रोड की बदहाली के विरोध में उपभोक्ता मंच में परिवाद भी पेश किए। ये हालात वर्तमान में भी देखने को मिल रहे हैं। दूसरी तरफ इसी तरह के प्रोजेक्ट और भी क्रियान्वित किए जा रहे हैं। सीधा सवाल यह है कि जब पहले निर्मित टोल रोड पर ही जनता को बदहाल मार्ग पर टोल देना पड़ रहा है तो और टोल रोड का क्या महत्व है।
बदहाली व मनमानी पर विभाग का मौन
इधर, टोल रोड की बदहाली और टोल एजेंसी की मनमर्जी पर पीडब्ल्यूडी के अधिकारी मौन है। अधीक्षण अभियंता ने आज तक इस खस्ताहाल मार्ग की स्थिति तक जानने की कोशिश नहीं की। गौरतलब है कि राज्य बजट में रामसीन-भीनमाल-रानीवाड़ा के बीच 70 किमी मार्ग पर दो टोल प्लाजा प्रस्तावित किए गए हैं।
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