ऐसे में सरकारी अफसरों को जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी निरीक्षण करने की जरूरत है। क्योंकि जिले में कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां स्कूलों में बनाए गए क्वारंटाइन सेन्टर में ठहरे मजदूरों को समय पर खाने पीने की व्यवस्था है कि नहीं। गांवों मेंं जाकर जानकारी ली गई तो पता चला कि क्वारंटाइन सेन्टर बनाए गए जिन स्कूलों में मजदूर ठहरे हैं उनका कहना है कि ग्राम प्रधान और कोटेदार द्वारा शुरूआत में 3 से 4 दिन तक मदद मिली इसके बाद कोई मदद नहीं मिली। क्वारंटाइन सेन्टर में रहने के कारण वह मजदूरी पर भी नहीं जा सकते हैं। इसलिए उनके परिवार द्वारा रोजाना सुबह, दोपहर और शाम का खाना भेजा जा रहा है।
वहीं सराकर कोरोना से बचाने के लिए क्वारंटाइन सेन्टर में रह रहे मजदूरों को भरपूर राशन उपलब्ध कराने की बात कर रही है। लेकिन कुछ लोग सरकार के सपने को साकार होते नहीं देखना चाहते हैं। इसलिए मजदूर सरकार की मदद के लिए अभी भी राह तक रहे हैं। कि आखिर लॉकडाउन के दौरान सरकारी सेवाएं उन तक कब पहुंचेंगी।