भारत के वेद पुराण और गीता में कहीं भी छुआछूत का उल्लेख नहीं: जेठूदान

-डॉ. अम्बेडकर जयंती पर विचार-गोष्ठी का आयोजन

<p>भारत के वेद पुराण और गीता में कहीं भी छुआछूत का उल्लेख नहीं: जेठूदान</p>
जैसलमेर. सामाजिक समरसता के प्रतीक डॉण् भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर आदर्श विद्या मंदिर में आयोजित विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता जेठूदान ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय समाज में व्याप्त अस्पृश्यता को लेकर लंबा सामाजिक संघर्ष किया। विषमताओं का विष पीकर भी वे संविधान निर्माण के शिल्पकार बने। इसलिए वे किसी जाति विशेष के महापुरुष नहीं बल्कि राष्ट्र व समूचे सर्वसमाज की संपति व धरोहर थे। उन्होंंने कहा कि डॉ. अम्बेडकर का जन्म अपने आप में एक अलौकिक घटना है। बचपन में स्कूल से लेकर उच्च शिक्षित होने तक अस्पृश्यता के अपमान का घूंट पीया, लेकिन उन्होंने जातियों के कलंक को शिक्षा के माध्यम से दूर किया। उनमें शिक्षा की ललक देखकर एक ब्राह्मण परिवार ने उन्हें प्रेरित करते हुए उपनाम अम्बेडकर देकर हृदय से अपनाया। मुख्य वक्ता ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर को केवल संविधान निर्माता के रुप में याद करना उनकी योग्यता का अपमान है। उनका भारतीय समाज में बहुआयामी योगदान है। वे कुशल सामाजिक योद्धाए महान अर्थशास्त्रीए गरीबए शोषित व महिलाओं के उद्धारक थे। उनका मानना था कि भारत के वेदए पुराणों और गीत में कहीं भी छुआछूत का उल्लेख व वर्णन नहीं है। बल्कि यह शब्द भारत में मुगल साम्राज्य के दौरान प्रचलन में आया है। वे सनातनी धर्म के पक्षधर थेए किन्तु पाखण्ड कर्म काण्ड और रुढिय़ो के विरोधी थे।
विचार गोष्ठी का दीप प्रज्जवलन कर शुभारंभ
सीमाजन कल्याण समिति व सेवा भारती द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। संघ के बाड़मेर विभाग संघचालक अमृत दैया, जिला संघचालक त्रिलोकचंद खत्री, सेवा भारती के अध्यक्ष चन्द्रभान खत्री व मुख्य वक्ता जेठूदान ने भारत माता एवं डॉण् अम्बेडकर के चित्र पर दीप प्रज्जवलन किया। सीमाजन छात्रावास के बालकों ने दीप मंत्र प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन टीकमचंद जीनगर ने किया। सेवा भारती के गिराज सेवक ने मंचासीन अतिथियों का परिचय करवाया। सीमाजन कल्याण समिति के जिला मंत्री शरद व्यास ने विचार गोष्ठी में उपस्थित प्रबुद्धजनों का आभार जताया।
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