लंबे कार्यकाल के लिहाज से नमित मेहता 11वें कलक्टर बने

सरहदी जिले में आजादी के बाद बदले गए हैं 62 कलक्टर
-जैसलमेर कलक्टर का औसत कार्यकाल रहता है एक साल

<p>लंबे कार्यकाल के लिहाज से नमित मेहता 11वें कलक्टर बने</p>

जैसलमेर. सीमावर्ती जैसलमेर जिले में नए प्रशासनिक मुखिया के तौर पर युवा आइएएस आशीष मोदी को राज्य सरकार ने नियुक्त किया है। वे नमित मेहता की जगह लेंगे, जिन्हें बीकानेर कलक्टर बनाकर एक तरह से उनके कार्य को सरकार ने सराहा है। जैसलमेर में कलक्टर का औसत कार्यकाल एक वर्ष माना जाता है और नमित मेहता यहां डेढ़ वर्ष से अधिक समय तक कार्यरत रहे। इस लिहाज से वे दीर्घ कार्यकाल वाले चुनिंदा कलक्टरों की फेहरिस्त में शामिल हो गए हैं। मेहता से पहले सिर्फ १० कलक्टर ही डेढ़ साल से ज्यादा समय तक जैसलमेर की प्रशासनिक कमान संभाल सके। इनमें डॉ. ललित के. पंवार सबसे ज्यादा सवा तीन साल सेवारत रहने का रिकॉर्ड कायम कर चुके हैं। नमित मेहता की नियुक्ति २५ दिस बर २०१८ को हुई थी और उन्होंने गत ३ तारीख तक कार्य किया। सरहदी जिले में आजादी के बाद बदले 62 कलक्टर अब तक बदले गए हैं। फटाफट बदलाव का टूटा क्रम २०१२ बैच के आइएएस नमित मेहता ने जैसलमेर में फटाफट बदले जा रहे कलक्टरों का सिलसिला तोड़ा है। उनसे पहले विश्वमोहन शर्मा, मातादीन शर्मा, कैलाशचंद मीना, अनुपमा जोरवाल और ओमप्रकाश कसेरा में से सभी अधिकाधिक एक वर्ष तक यहां टिके। कसेरा व जोरवाल तो चंद महीनों तक ही इस सीमांत जिले के कलक्टर रह पाए। एेसे में मेहता ने १८ महीनों से ज्यादा समय तक कलक्टरी की। बडे़ कार्यकाल वाले कलक्टर-जैसलमेर में कलक्टर पद पर सबसे ज्यादा समय डॉ. ललित के. पंवार रहे। -डॉ. पंवार 28 अप्रेल 1985 से 1 अगस्त 1988 तक जिला कलक्टर रहे। -उनके अलावा सज्जननाथ मोदी 25 माह, पीएल अग्रवाल और एनएल मीना ने 23-23 महीने तथा पुरुषोत्तम अग्रवाल व सुधांश पंत 21-२१ महीने तक कार्यरत रहे। – महेंद्र कुमार व्यास, ललित कोठारी व अशोक जैन करीब २०-२० माह, एमके खन्ना १९ व रजत मिश्र १८ महीनों तक जैसलमेर कलक्टर बने रहे।सीखने की जगह जैसलमेरदेश के चुनिंदा सबसे बडे़ क्षेत्रफल वाले और दुर्गम इलाकों में गिना जाने वाला जैसलमेर जिला नए आइएएस अधिकारियों के लिए सीखने की जगह माना जाता है। सरकार ने युवा अधिकारियों को प्राय: यहां पहली बार जिला कलक्टर व मजिस्ट्रेट के पद पर कार्य करने भेजती है। जैसलमेर में कलक्टर रहने वाले कुछ अधिकारी आगे चलकर प्रदेश के मुख्य सचिव तक रहे हैं। अनेक अधिकारियों ने माना है कि जैसलमेर में रहने के दौरान उन्हें जो सीखने-समझने का अवसर मिला, वह पूरे सेवाकाल में उनके काम आया।

 

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