Video: पहचान तिरंगा है…अरमान तिरंगा है… राष्ट्रीय पर्वों पर झंडा फहराने की सीमांत जिले में बढ़ी ललक

-धोरों की नगरी में उफान पर देशप्रेम का दरिया

<p>पहचान तिरंगा है&#8230;अरमान तिरंगा है&#8230; राष्ट्रीय पर्वों पर झंडा फहराने की सीमांत जिले में बढ़ी ललक</p>
जैसलमेर. सरहद के पास बसे जैसलमेर जिले में राष्ट्रीय पर्वों पर ध्वारोहण व झंडा फहराने को लेकर ललक विगत वर्षों में काफी बढ़ी है। हाल में पुलवामा घटनाक्रम, सर्जिकल स्ट्राइक और अब चीन की हिमाकत के बाद इस बार तो कोविड. 19 संकट में भी धोरों की नगरी में देशप्रेम का दरिया उफान पर है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर अवस्थित जैसलमेर जिले में शनिवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सरकारी दफ्तरों के साथ घरों व संस्थाओं तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर भी बड़ी संख्या में लोग देश की आन-बान-शान का प्रतीक तिरंगा फहराएंगे। आमजन को जब से राष्ट्रीय पर्वों पर तिरंगा फहराने का अधिकार मिला है, तब से विश्व विजयी ध्वज फहराने की ललक भी लोगों में बढ़ी है। पूर्व के वर्षों में में स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के मौकों पर केवल सरकारी कार्यालयों पर ही झंडा लहराते नजर आता था। अब सीमांत जैसलमेर में भी लोगों में देशप्रेम जाहिर करने का यह तरीका उफान पर है। जैसलमेर में तिरंगा केवल गांधी दर्शन में मिलता है। यहां विभिन्न आकार के तिरंगा ध्वज बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
एक ही शहर में ध्वज निर्माण
अधिकृत रूप से पूरे देश में फहराए जाने वाले राष्ट्रीय ध्वज एकमात्र नांदेड़ शहर में बनाए जाते हंै। महाराष्ट्र राज्य के इस शहर से ही देशभर में खादी के कपड़े पर अधिकृत तौर पर तिरंगें बनाए व आपूर्ति किए जाते हैं। जैसलमेर में 6 गुणा 4, 3 गुणा 4.5 और 3 गुणा 2 फीट के आकार में फहराए जाने वाले झंडे आमतौर पर उपलब्ध रहता हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट से प्रत्येक नागरिक को तिरंगा फहराने का अधिकार मिलने के बाद लोगों में जज्बा बढ़ा है। सीमावर्ती जैसलमेर जिले की ग्राम पंचायतों से लेकर निजी शिक्षण संस्थाओं, दुकानों, मकानों, प्रतिष्ठानों, एनजीओ के दफ्तरों, निजी बैंक शाखाओं आदि पर भी तिरंगा शान से लहराता नजर आ जाता है।
क्या कहती है झंडा संहिता
– राष्ट्रीय ध्वज साफ-सुथरा हो
– तिरंगा सायं 5 बजे के बाद नहीं फहराया जाए
– सुबह ध्वजारोहण बाद ध्वज उसी दिन सूर्यास्त से पहले ससम्मान उतारा जाए
– ध्वजारोहण के समय केसरिया पट्टिका ऊपर हो
– राष्ट्रीय ध्वज जमीन से नहीं टकराए
– कटा-फटा ध्वज कभी नहीं फहराएं, ऐसे ध्वज को ससम्मान निस्तारित किया जाए
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