जंगली घास पड़ोसियों से चुरा रहीं जीन
ब्रिटेन की शेफील्ड विश्वविद्यालय में पशु और पादप विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि जंगली घास अपने पड़ोसियों से जीन चुराती हैं।
<p>जंगली घास पड़ोसियों से चुरा रही जीन</p>
ब्रिटेन की शेफील्ड विश्वविद्यालय में पशु और पादप विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि जंगली घास अपने पड़ोसियों से जीन चुराती हैं ताकि वे अनिवार्य रूप से स्वयं के अस्तित्व को बचा सकें। वैज्ञानिक इस घटना को “पार्श्व जीन स्थानांतरण” कहते हैं। पार्श्व जीन स्थानांतरण एक जीव को संबंधित प्रजातियों से सीधे जीन को विरासत में देने की प्रक्रिया है। शेफील्ड विश्वविद्यालय के डॉ. ल्यूक डनिंग ने कहा कि जंगली घास केवल जीन चुराती हैं हैं और एक विकासवादी शॉर्टकट ले रही हैं। वे स्पंज के रूप में कार्य कर रही हैं और अपने रिश्तेदारों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए अपने पड़ोसी पौधों के जीन अवशोषित कर रही हैं और लाखों वर्षों से धरती पर अपना अस्तित्व बनाये हुए हैं। पार्श्व जीन स्थानांतरण की प्रक्रिया को समझने से वैज्ञानिकों को जीन को आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों से बचने में मदद मिल सकती है, जिससे “सुपर-वेज” संक्रमण हो सकता है। एलोटेरोप्सिस सेमलियाटा, जो कि अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है, घास के जीनोम का अध्ययन करते हुए वैज्ञानिकों के द्वारा इसकी तुलना अन्य 150 प्रजातियों से की गई। वैज्ञानिकों को कुछ डीएनए अनुक्रमों की समानता से पता चला कि उन्हें बाद में अपने प्राकृतिक पड़ोसियों से प्राप्त किया गया था। शोध में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पर सबसे अधिक आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण पौधों में से कुछ जिनमें दुनियाभर में सबसे अधिक खेती की गई फसलें जैसे: गेहूं, मक्का, चावल, जौ, गन्ना शामिल हैं, पर नजर डाली। वैज्ञानिकों ने पाया कि नकली जीन घास को भारी लाभ दे रहे हैं और उन्हें अपने आस-पास के वातावरण के अनुकूल होने और जीवित देने में मदद कर रहे हैं और शोध यह भी दर्शाता है कि यह केवल एलोटेरोप्सिस सेमियालता तक ही सीमित नहीं है क्योंकि अन्य घास प्रजातियों की एक विस्तृत श्रृंखला में इसका पता लगाया गया।