एक बार फिर अमानक निकले लाखों के टीके, विभाग ने समाप्त होने से पहले रोका अभियान

पहले भी स्थगित हो चुका है अभियान18 जिलों में चल रहा था एफएमडी अभियान

प्रदेश में पशुओं में खुरपका और मुंहपका रोग पर रोक लगाने के लिए जारी किए लाखों रुपए के टीके एक बार फिर अमानक निकले हैं। इसकी वजह से पशुपालन विभाग की ओर से चल रहा राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम रोक दिया गया है। केन्द्रीय योजना के तहत भैंस एवं गोवंश पशुओं में खुरपका मुंह रोग के बचाव का टीकाकरण प्रदेश के 18 जिलों में चल रहा था। जानकारी के मुताबिक बायोवेट बायो फार्मा की वैक्सीन और डेग्जामेथाजोन अमानक पाई गई हैं। औषधि का CAT no. MB 1.Dexamthasone 10 ml अमानक पाया गया। दवाई का Batch no-SV180 अमानक पाया गया। गुणवत्ता मानकों के आधार पर टीके सही नहीं मिलने पर विभाग के निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह ने टीकाकरण रोकने के निर्देश जारी कर दिए। ऐसे में फिलहाल प्रदेश के 18 जिलों में चल रहा वैक्सीनेशन अभियान रोक दिया गया है।
यह निर्देश किए जारी
विभाग की ओर से जारी किए गए निर्देशों में कहा गया कि राजस्थान द्वितीय फेज में सम्मिलित 18 जिलों को मेसर्स बायोवेट बायोफार्मा की वैक्सीन आपूर्ति की गई है। इस निर्माता कम्पनी के जांचे गए दो बैच गुणवत्ता मानकों के आधार पर नहीं पाए जाने के संबंध में केंद्र सरकार से निर्देश प्राप्त हुए हैं कि उक्त वैक्सीन निर्माता फर्म की वैक्सीन जहां आपूर्ति हुई है, उन स्थानों पर वैक्सीनशन ड्राइव को स्थगित किया जाए। ऐसे में अत: 18 जिलों में वर्तमान में चल रहा एफएमडी वैक्सीनशन अभियान केंद्र सरकार से अग्रिम आदेश प्राप्त होने तक स्थगित किया जाता है। विभाग ने यह भी निर्देश दिए कि इस वैक्सीन का उपयोग अविलंब रोक दिया जाए। किसी भी परिस्थिति में वैक्सीन का उपयोग और वितरण नहीं किया जाए।
इन जिलों में चल रहा था अभियान
आपको बता दें कि प्रदेश में जयपुर, झुंझुनू, जैसलमेर, अजमेर, बीकानेर, अलवर, दौसा, चूरू, सीकर, करौली, टोंक, बाड़मेर, नागौर, पाली, राजसमंद, जोधपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और कुचामन सिटी में 12 अक्टूबर से अभियान की शुरुआत की गई थी और 25 नवंबर को अभियान समाप्त होना था।
अभियान को आगे बढ़ाए जाने लिए लिखा था पत्र
आपको बता दें कि अभियान के तहत 149 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जाना है। 25 नवंबर को समाप्त होने वाले इस अभियान को 31 दिसंबर तक आगे बढ़ाए जाने के लिए विभाग के निदेशक डॉ. वीरेंद्र सिंह ने केन्द्रीय पशुपालन एवं डेयरी विभाग को पत्र लिखा था, जिससे विभाग अपना लक्ष्य हासिल कर सके लेकिन अब अभियान पर ही रोक लग गई है।
इनका कहना है,
जिले के डिपो पर ड्रग सप्लाई की जाती है। वहां से ड्रग कंट्रोलर इनके सैम्पल की जांच करते हैं। अगर वहां कोई कमी पाई जाती है या अमानक निकलते हैं तो उस पर रोक लगाई जाती है। हाल ही में गुणवत्ता मानकों के आधार पर टीके सही नहीं मिलने पर अभियान को रोके जाने के निर्देश दिए गए हैं।
डॉ. वीरेंद्र सिंह, निदेशक
पशुपालन विभाग।
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