सूत्रों के अनुसार पुराने मंत्रियों में से आधों की छुट्टी हो सकती है और जिन्हें हटाया नहीं जाएगा उनके विभाग बदले जा सकते हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी अजय माकन रविवार को कह चुके हैं कि इस पर मंथन पूरा हो चुका है। अंतिम फैसला आलाकमान पर छोड़ा गया है, अब केवल राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की मुहर लगना बाकी है। ऐसे में अब पुनर्गठन का ऐलान कभी भी हो सकता है। फिर अगस्त में सम्भावित मानसून सत्र में विधानसभा में मंत्रियों के रूप में कई नए चेहरे दिखेंगे।
किस खेमे का किस पर जोर
– पायलट खेमा: इस खेमे ने नए मंत्री बनाने के साथ कुछ ऐसे मंत्रियों को हटाने के लिए भी ताल ठोक रखी है, जिन्हें इस खेमे की सिफारिश पर मंत्री बनाया गया था।
– गहलोत खेमा: यह खेमा नहीं चाहता कि पायलट खेमे की यह इच्छा पूरी हो। यह खेमा चाहता है कि मंत्रिमंडल में भले ही नए चेहरे शामिल हों लेकिन दूसरे खेमे की जिद पर संबंधित मंत्रियों को नहीं हटाया जाए।
मिशन अगला चुनाव: विभाग भी खूब बदले जाएंगे
कांग्रेस आलाकमान मंत्रिमंडल पुनर्गठन, राजनीतिक नियुक्तियों और संगठन विस्तार की मशक्कत अगले विधानसभा चुनाव को देखते हुए कर रहा है। सरकार का आधे से ज्यादा कार्यकाल बीत चुका है। ऐसे में जातिगत और राज्य के भौगोलिक समीकरणों को देखते हुए नए लोगों को मौके दिए जाएंगे।
माकन कल आएंगे, विधायकों से करेंगे संगठन विस्तार पर चर्चा
प्रदेश प्रभारी माकन 2 दिन के दौरे पर बुधवार को वापस जयपुर आएंगे। दौरे का उद्देश्य यह होगा कि जिलों से विधायक मंत्री नहीं बन पाएंगे, वहां जिला और ब्लॉक अध्यक्ष विधायकों की पसंद से बनें। ताकि नाराजगी न पनपे।
मंत्रिमंडल में ये हो सकते नए चेहरे
हेमाराम चौधरी, बृजेन्द्र ओला, मुरारीलाल मीणा, दीपेन्द्र सिंह शेखावत, महेश जोशी, शकुंतला रावत, संयम लोढ़ा, महादेव सिंह खण्डेला, रामकेश मीणा, राजेन्द्र गुढ़ा, विश्वेन्द्र सिंह, भरत सिंह कुंदनपुर, महेन्द्रजीत सिंह मालवीया, रामलाल जाट, मंजू मेघवाल के अलावा राजेन्द्र विधूड़ी या जितेन्द्र सिंह में से एक और जाहिदा या अमीन खान में से एक को शामिल किया जा सकता है।
तलवार: किस पर क्यों लटकी
भाया, प्रताप, आंजना: खेमा बदला
सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना, खान मंत्री प्रमोद जैन भाया और परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास पहले पायलट खेमे से मंत्री बने थे। फिर सियासी संग्राम में खेमा बदल लिया। इन तीनों को खतरा माना जा रहा है। भाया पर अवैध खनन को लेकर पार्टी के ही विधायक भरतसिंह कुंदनपुर हमलावर हैं और सीएम को कई पत्र भेज चुके हैं। हालांकि खाचरियावास की कुर्सी को खतरा हुआ तो पार्टी के मुद्दे उठाने में आगे रहने और जातिगत समीकरण के मद्देनजर प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
डोटासरा: संभाल रहे 2 जिम्मेदारियां
शिक्षा राज्यमंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा मंत्री के साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। ‘एक व्यक्ति, एक पद’ का सिद्धान्त लागू हुआ तो उन्हें शिक्षा मंत्री पद से हटाया जा सकता है। पार्टी का मानना है कि इससे एक नए व्यक्ति को मौका मिलेगा और डोटासरा भी संगठन का कामकाज बेहतर तरीके से कर सकेंगे।
जाटव, बामनिया, परसादी: खराब प्रदर्शन
पार्टी में खासी चर्चा है कि खराब प्रदर्शन के कारण मंत्री भजनलाल जाटव, अर्जुन सिंह बामनिया और परसादीलाल मीणा का पद जा सकता है। ट्राइबल बैल्ट में बामनिया की जगह महेन्द्रजीत सिंह मालवीया को लेने की चर्चा है। परसादी के समक्ष क्षेत्रीय समीकरण भी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं।
हरीश चौधरी: हेमाराम बने तो छिनेगी कुर्सी
राजस्व मंत्री हरीश चौधरी बाड़मेर जिले से हैं। यहां से हेमाराम चौधरी को मंत्री बनाने की अटकलें हैं। हरीश पर कमलेश प्रजापत एनकाउंटर मामले को लेकर तो आरोप लग ही रहे हैं, हेमाराम मंत्री बने तो जिले से दो लोगों को मंत्री बनाना मुश्किल है। हरीश ने हाल ही कहा भी था कि संगठन में काम करना उनकी प्राथमिकता में रहा है। ऐसे में उन्हें एआइसीसी में अहम जिम्मेदारी मिल सकती है।
चांदना: विवादों से रहा नाता
खेल मंत्री अशोक चांदना का मंत्री बनने से पहले भी विवादों से नाता रहा है। मंत्री बनने के बाद बिजली विभाग के अधिकारी से मारपीट को लेकर विवादों में रहे। पंचायत चुनाव में खड़े नेता को फोन पर धमकाने का ऑडियो भी वायरल हुआ। अब नए मंत्री बनाने पर जातिगत समीकरणों में उलझे तो कुर्सी जा सकती है। नए चेहरे में महिला व गुर्जर कोटे से शकुंतला रावत का नाम चर्चा में है।
ममता भूपेश: क्षेत्रीय समीकरण पड़ेंगे भारी
महिला एवं बाल विकास मंत्री ममता भूपेश गहलोत मंत्रिमंडल में एकमात्र महिला मंत्री हैं लेकिन विभाग में कामकाज की कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है। ममता की कुर्सी क्षेत्रीय समीकरणों के चलते खतरे में है। दौसा जिले से अभी दो मंत्री हैं। अब एक मंत्री पायलट खेमे से मुरारीलाल मीणा को बनाने की चर्चा है।
भाटी: रिश्तेदारी और सियासी अदला-बदली
उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी की कुर्सी को रिश्तेदारी और सियासी अदला-बदली के कारण खतरा है। बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद देने की अटकलें हैं ताकि बसपा खेमे के विधायकों को साधा जा सके। भाटी विधायक गुढ़ा के दामाद हैं। ऐसे में एक परिवार से दो मंत्री रखना मुश्किल है।