ये डॉक्टर 19 दिनों से नहीं गई घर

दुनिया के साथ ही देशभर में इस समय हैल्थ इमरजेंसी चल रही है। डॉक्टर और नर्स कई दिनों से अस्पतालों में काम कर रहे हैं। इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिए देशभर के अस्पतालों से लेकर सामुदायिक केंद्रों तक के डॉक्टर लोगों की सेवा में जुटे हैं। ऐसे ही वॉलेंटियर्स के सम्मान में 22 मार्च को जनता कफ्र्यू के दौरान ताली बजाकर इन्हें सेल्यूट किया गया।

<p>ये डॉक्टर 19 दिनों से नहीं गई घर </p>
JAIPUR दुनिया के साथ ही देशभर में इस समय हैल्थ इमरजेंसी चल रही है। डॉक्टर और नर्स कई दिनों से अस्पतालों में काम कर रहे हैं। इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिए देशभर के अस्पतालों से लेकर सामुदायिक केंद्रों तक के डॉक्टर लोगों की सेवा में जुटे हैं। ऐसे ही वॉलेंटियर्स के सम्मान में 22 मार्च को जनता कफ्र्यू के दौरान ताली बजाकर इन्हें सेल्यूट किया गया। इन्हीं वॉलेंटियर्स में से एक हैं डॉ़ सुशीला कटारिया। जो इन दिनों 14 इटली के नागरिकों को आइसोलेशन के दौरान उपचार दे रही हैं। डॉ सुशीला इस महामारी के लिए मरीजों का समर्पण भाव से इलाज कर रही है। हैरानी की बात यह है कि इस कारण वे पिछले 19 दिनों से अपने घर नहीं गई हैं। वो 24 घंटे अपने अस्पताल में सेवाएं दे रही हैं। इस दौरान वे अपने परिजनों से मोबाइल या सोशल मीडिया के जरिए ही सम्पर्क में हैं। सुशीला कटारिया वो डॉक्टर हैं जिन्हें गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में 14 इटली के नागरिकों के इलाज के जिम्मेदारी मिली है। आपको बता दें कि यह 14 मरीज वही हैं, जिनमें कोरोना संक्रमण का पता राजस्थान में चला था। यह इटली के दल में भारत घूमने आए थे। जयपुर में एक इटली की दम्पत्ति में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद इन्हें पहले तो आइसोलेशन में रखा गया। इसके बाद गुड़गांव शिफ्ट किया गया। सुशीला कटारिया के मुताबिक 4 मार्च को अस्पताल को प्रशासन द्वारा जानकारी दी गई कि ये 14 मरीज आपके यहां भेजे जा रहे हैं। इस सूचना के बाद अस्पताल में अलग आइसोलेशन वार्ड बनाया गया। साथ ही डॉक्टर और नर्स की एक विशेष टीम बनाई गई, जो सिर्फ इन कोरोना संदिग्धों का उपचार ही करेगी। सुशीला इसी टीम का नेतृत्व कर रही हैं।
उनके मुताबिक बीमारी नई है और इलाज भी। इस पर मरीज सभी बुजुर्ग हैं। दुनियाभर में मौतों के आंकड़े देखें तो इसी उम्र के लोगों को कोरोना के कहर से जान गंवानी पड़ी। सबसे बड़ी बात कि सभी विदेशी हैं, इसीलिए और भी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि विदेशी जब अपने देश लौटे तो ठीक होकर ही जाएं। सुशीला का कहना है कि इस महामारी से बचाव के लिए यही ठीक है कि हम हर समय मरीजों के लिए उपलब्ध रहे और खुद भी आइसोलेशन में ही समय गुजारे। इस समय अस्पताल से निकलना भी दूसरे लोगों को मर्ज बांटने जैसा ही होगा। दरअसल कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से लोग जब डरे हुए हैं, तब डॉक्टर दुनियाभर में दिन-रात सेवा में लगे हुए हैं। कई देशों में डॉक्टर लोगों का इलाज करते-करते अपनी जान गंवा चुके हैं। राजस्थान के भीलवाड़ा में भी डॉक्टर और नर्स कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके बाद डॉक्टर भी एहतियातन अपने परिजनों से नहीं मिल रहे।
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