आधे से भी कम रह गए मनरेगा मजदूर, दो माह में 32 लाख ने देखा दूसरा रोजगार

— मानसून और अनलॉक के बाद मजदूरों की वापसी का असर

<p>मनरेगा</p>
जयपुर. कोरोना लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया बनी मनरेगा के तहत मजदूरों के नियोजन में अब जबरदस्त गिरावट देखी जा रही है। बीते करीब डेढ़ माह में योजना के तहत 32 लाख मजदूरों के नियोजना की बड़ी कमी हुई है। जून माह में जहां प्रदेश में 53 लाख मजदूरों ने योजना में काम मांगा था, वहीं अगस्त में यह संख्या 21 लाख के आसपास आकर ठहर गई है।
नियोजन के मामले में प्रदेश के शीर्ष पांच जिले ही देखें तो एक ही जिले में अधिकतम 4 लाख के आसपास मजदूर कम हो गए। उदयपुर, भीलवाड़ा समेत कई जिलों में बड़ी कमी आई है। जानकार इस कमी के पीछे मानसून और अनलॉक को बड़ा कारण मान रहे हैं। देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब लगभग सभी राज्यों में उद्योग—धंधे खुल गए, ऐसे में कोरोना काल के दौरान प्रदेश में आए मजदूरों ने वापसी शुरू कर दी है। इसके अलावा मानसून के आगमन के बाद मजदूरों के कृषि संबंधी कार्यों में लगने के कारण भी यह कमी आई है।
हालांकि जानकारी के अनुसार तीस लाख से अधिक मजदूर कम होने के बावजूद कोरोना काल में मनरेगा गांवों में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया बनी हुई है। पिछले वर्ष अगस्त माह में जहां 11 लाख मजदूरों का नियोजन था, वहीं अब अनलॉक के बावजूद भी यह आंकड़ा 20 लाख के आसपास है।

शीर्ष पांच जिलों में आई कमी
जिला— जून में नियोजन— अगस्त में नियोजन

भीलवाड़ा— 4.30 लाख— 25 हजार
डूंगरपुर— 4.06 लाख— 59 हजार
बांसवाड़ा— 3.79 लाख— 57 हजार
अजमेर— 2.78 लाख— 60 हजार
उदयपुर— 2.71 लाख— 1.26 लाख

पश्चिमी जिलों में अब भी एक लाख पार
मानसून का सीधा असर योजना में मजदूरों की संख्या पर दिख रहा है। सामान्यत: कम बारिश और कृषि कार्य वाले जिलों में आज भी श्रमिकों का नियोजन प्रतिदिन एक लाख से अधिक है। सोमवार के आंकड़े देखें तो सर्वाधिक श्रमिकों का नियोजन बाड़मेर में 2 लाख, जालौर में 1 लाख और नागौर में 1.27 लाख रहा।
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