राजस्थान का रण: मैं डॉक्टर, बताऊंगा मर्ज

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<p>राजस्थान का रण: मैं डॉक्टर, बताऊंगा मर्ज</p>
वह गरीब था तो उसके पास बीपीएल कार्ड क्यों नहीं था
मैं जेके लोन अस्पताल का अधीक्षक था तो जितने मरीज भर्ती होते थे, उनमे से 8 से 10 प्रतिशत तक बच्चों को उनके माता पिता डॉक्टर की सलाह के बावजूद बिना उपचार के ही ले जाते थे। निशुल्क इलाज की सभी सुविधाएं होने के बावजूद वे बिना इलाज अस्पताल क्यों छोड़ देते थे। इस बीमारी का कारण जाना तो पता चला कि आर्थिक हालत पतली होने के कारण वो चले गए। यह मेरे लिए हैरत की बात थी, सरकार की इतनी योजनाओं के बावजूद पैसा नहीं होने के कारण वो चला गया। अगर वह गरीब था तो क्यों उसके पास बीपीएल कार्ड या अन्य कोई कार्ड नहीं था। सरकार अगर सभी गरीबों को कार्ड नहीं दे सकती तो क्यों इस तरह के नियम बनाए जा रहे हैं। यह एक बडी बीमारी थी, जिसका इलाज मैने ढूंढने का प्रयास किया।
याद है बांदीकुई का वह परिवार

मुझे आज भी याद है बांदीकुई से आए एक परिवार का बच्चा..
उसका आइसीयू में इलाज चल रहा था। एक दिन अचानक उसके पिता ने गरीबी के कारण इलाज कराने में असमर्थता जताई। मुझे ताज्जुब हुआ। पता किया तो सामने आया कि उसके पास बीपीएल कार्ड था ही नहीं। दवाइयों और अन्य खर्चे भी हो रहे थे, काम धंधे से भी ‘फ्री’ हो चुका था। उसने इलाज के लिए तब मजबूरी में मना किया, जब उसका बच्चा ठीक होने लगा था। यह तो मेरे लिए एक डोज की तरह था, जिसके लिए किसी नैदानिक इजेक्शन की आवश्यकता थी।
गरीब को कार्ड से क्यों बांधा

सरकार इतनी बड़ी योजनाएं अच्छी भावना के साथ गरीबों के लिए चला रही है तो गरीब की परिभाषा को कार्ड में क्यों बांध दिया गया है। क्या बीपीएल कार्ड, भामाशाह कार्डधारियों के अलावा कोई गरीब नहीं है। मुझे ऐसे समय में इन कार्डों का कम से कम 20 फीसदी हिस्सा राजनेताओं के वोटरों को खुश करने का जरिया अधिक नजर आते थे।
कौन करेगा इनकी पहचान

आज भी रोजाना प्रदेश में हजारों लोग ऐसे होंगे जो पैसे के अभाव में इलाज नहीं करवा पा रहे। इन लोगों की पहचान कौन करेगा..
वोट लेने वाले राजनेताओं को आगे आना चाहिए, एक ऐसा ऑपरेशन इसके लिए हो, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आएं। अस्पतालों के डॉक्टरों का भी सहयोग लिया जाना चाहिए, सरकार आगे आए, सामाजिक संस्थाएं आगे आएं। चूंकि हमारे यहां मजबूत लोकतंत्र है और हम हमारी सरकार चुनते हैं, हमारे भले के लिए। इसलिए इसकी बड़ी जिम्मेदारी राजनेताओं की ही है, वह ऐसी योजनाओं के नियमों को इस तरह करें कि उसका लाभ जिसके लिए वह बनाई गई है, कम से कम उसे तो मिले।
डॉ.एस.डी.शर्मा, पूर्व अधीक्षक, जेके लोन अस्पताल
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