विदेश में पढ़ाई के लिए सरकार देती है एक करोड़, क्या है योजना और कैसे करें आवेदन

सरकारी खर्च पर विदेश में पढ़ाई कर बांसवाड़ा की सुचेता अमरीका में जॉब कर रही हैं। सुचेता की तरह ही अब भीलवाडा की आफरीन और श्रीमाधोपुर की भानुप्रिया कैलिफोर्नियां में पढ़ाई कर रही हैं।

<p>सरकारी खर्च पर विदेश में पढ़ाई कर बांसवाड़ा की सुचेता अमरीका में जॉब कर रही हैं। सुचेता की तरह ही अब भीलवाडा की आफरीन और श्रीमाधोपुर की भानुप्रिया कैलिफोर्नियां में पढ़ाई कर रही हैं।</p>
विजय शर्मा/जयपुर। सरकारी खर्च पर विदेश में पढ़ाई कर बांसवाड़ा की सुचेता अमरीका में जॉब कर रही हैं। सुचेता की तरह ही अब भीलवाडा की आफरीन और श्रीमाधोपुर की भानुप्रिया कैलिफोर्नियां में पढ़ाई कर रही हैं। इन के लिए सरकार ने एक-एक करोड़ खर्च किए हैं। इनके परिजन की तरह ही और भी तैयार होते तो आठ साल में 24 बालिकाओं को विदेश में उच्चशिक्षा प्राप्त करने का मौका मिलता। योजना के मुताबिक सरकार के आवेदन मांगने के बाद भी मात्र तीन बेटियों के परिजन ही आगे आए। कक्षा दस के परीक्षा परिणाम में सरकारी स्कूल की टॉप तीन छात्राओं के लिए यह योजना लागू की गई थी। हर साल तीन छात्राओं के परिजन को सरकार जानकारी देती है तथा आवेदन मांगती है। आलम यह है कि वर्ष 2013-14 से लेकर 2019-20 तक सिर्फ तीन आवेदन आए हैं।
सरकारी स्कूल से निकलीं, कैलिफोर्नियां पढ़ने पहुंची
आफरीन और भानुप्रिया ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि सरकारी स्कूल में पढ़ाई करके ही आज यहां तक आई हैं। चिंताजनक बात है कि हमारे बाद किसी भी बालिका ने इस योजना का लाभ नहीं लिया। बेटियां किसी से कम नहीं होती। अभिभावक बेटियां को आगे बढ़ाएं। हमने और अभिभावकों ने हिम्मत जुटाई तो हम यहां तक आए और हमारी जिंदगी बन गई।
क्या है योजना कैसे करें आवेदन
– सरकार की ओर से 2010 में विदेश में स्नातक स्तर की शिक्षा सुविधा योजना की शुरुआत की गई

– राजस्थान बोर्ड की 10वीं मैरिट में प्रथम तीन स्थान पाने वाली सरकारी स्कूल की बेटियों को इस योजना का फायदा मिलता है
– आवेदन 12वीं कक्षा पूरा करने के बाद किया जाता है

– अभिभावकों से नॉन ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर पर सहमति मांगी जाती है

– विदेश की यूनिवर्सिटी में एंट्रेंस टेस्ट की तैयारी के लिए सरकार 50 हजार रुपए भी देती है
– पास होने पर 25 लाख रुपए सालान चार साल स्नातक करने के लिए देती है।

बीते वर्षों में योजना पर व्यय
साल————व्यय (लाख में)
2017———42.78
2018-19——-50
2019—20—-40
2020—21—–50

अभिभावक बोलेः हम तो सक्षम नहीं
आफरीन के पिता फरीद मोहम्मद छीपा का व्यवसाय है। भानुप्रिया के पिता सोहन लाल निजी कॉलेज में प्रिंसीपल है। उनका कहना है कि वे मध्यम वर्ग परिवार से है। पूरी जिंदगी में कभी बेटी को विदेश नहीं भेज पाते। सरकार की योजना से बेटी को विदेश पढ़ने का मौका मिला है।
12वीं बाद विदेश से स्नातक भी सरकार करा रही है। पात्र बालिकाओं को आवेदन करने चाहिए, ताकि उन्हें योजना का लाभ मिले।
गोविंद सिंह डोटासरा, शिक्षा राज्य मंत्री
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