कंपनी के चार पदाधिकारियों को कुछ सप्ताह पहले भी जालपुरा पुलिस ने पकडा था। जालूपुरा, संजय सर्किल समेत अन्य थानों में चार केस उनके खिलाफ दर्ज हैं। जालूपुरा में साल 2018 में केस दर्ज कराया गया था। जांच कर रही पुलिस ने बताया कि निवेशकों को कई तहर के प्रलोभन देकर कंपनी करीब पंद्रह साल से काम कर रही थी। कंपनी के पदाधिकारियों ने कुछ समय तो लोगों को तय जुबान के अनुसार पैसा दिया लेकिन उसके बाद रकम का गबन करना शुरु कर दिया। अच्छे निवेश के लालच में कंपनी में लोगों ने जमकर पैसा लगाया और उसके बाद जब कंपनी रातों रात ही अपने कार्यालय खाली कर फरार होने लग गई।
जयपुर मे भी इसी तरह से रातों रात ये लोग फरार हो गए थे। इसके बाद कंपनी पर धडाधड केस दर्ज होना शुरु हो गए। कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, एमपी, आसाम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमें दर्ज हैं। कई केसेज की जांच सीबीआई कर रही है और पिछले कुछ सालों से कंपनी का पूरा प्रबंधन सेबी ने अपने हाथों में ले लिया है। सेबी ने कंपनी के पदाधिकारियों पर हजारों करोड़ रुपए जुर्माने भी लगाए हैं।
पीएसीएम केस: सबसे पहले जयपुर मे ही हुआ था खुलासा
पीएसीएल मामले मंे साल 2011 में हुआ था पहला केस दर्ज।
जयपुर शहर के चैमू थाने की पुलिस ने किया था केस दर्ज।
ठगी और चिट फंड एक्ट में केस दर्ज की गई थी जांच।
उसके बाद राजस्थान के अन्य शहरों में हुई थी ठगी ।
साल 2015 से देश के कई राज्यों में दर्ज होने लगे थे केस।
कुछ साल पहले सेबी ने कर लिया था कंपनी को अंडरटेक।