ऑनलाइन सट्टेबाजी पर बहस, उलझा पूरा देश

— ड्राफ्ट केबिनेट से लौटने के बाद फिर तैयारी, लेकिन रोकने को कंपनियों का दवाब

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जयपुर। तमिलनाडू में आॅनलाइन खेलों पर पाबंदी को लेकर जारी विवाद के बीच सामने आया है कि राजस्थान में आॅनलाइन खेलों के बजाय खेलों सहित सभी तरह की आॅनलाइन सट्टेबाजी को रोकने के लिए विधेयक नए सिरे से तैयार किया जा रहा है। उधर, आॅनलाइन खेलों से जुड़ी कंपनियां कानून में बदलाव रोकने के लिए दवाब बना रही हैं। इसके चलते तमिलनाडू की तरह ही यहां भी विधेयक अधर में है, लेकिन इन खेलों को लेकर बहस में हर आदमी उलझा है।
ब्लू व्हेल्स के बाद से ही राजस्थान सहित देशभर में आॅनलाइन खेलों को लेकर बहस होती रही है, लेकिन कोर्ट ऐसे खेलों को स्किल से जुड़ा मानते हुए इन पर रोक लगाने को तैयार नहीं है। सोमवार को राजस्थान के आॅनलाइन खेलों से जुडे एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर दखल से इंकार कर दिया और मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट आॅनलाइन खेलों पर रोक लगाने वाले तमिलनाडू सरकार के कानून को रद्द कर चुका। आॅनलाइन खेलों को लेकर बहस इसलिए भी रोचक है कि सुप्रीम कोर्ट पिछले साल ही आॅनलाइन खेलों को स्किल से जुड़ा मानते हुए रोक लगाने से इंकार कर चुका है। उधर, बुधवार को तमिलनाडू सरकार के विधि मंत्री एस रघुपति ने फिर सेे आॅनलाइन खेलों को रोकने के लिए नए सिरे से विधेयक लाने का बयान देकर बहस को गर्म कर दिया है।
इस बीच जानकारी में आया है कि राजस्थान में सरकार जुआ और ऑनलाइन सट्टेबाजी को सामाजिक बुराई मानते हुए राजस्थान पब्लिक गैंबलिंग ऑर्डिनेंस-1949 के स्थान पर नया विधेयक लाने की तैयारी कर रही है। करीब 6 माह पहले विधानसभा सत्र के दौरान विधेयक सर्कुलेशन के जरिए मंजूरी के लिए केबिनेट को भेजा गया, लेकिन कुछ आपत्तियों के साथ लौट आया। बताया जाता है कि इसके पीछे आॅनलाइन खेलों से जुड़ी कंपनियों का भी हाथ है। हालांकि गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार आॅनलाइन जुआबाजी रोकने के लिए विधेयक के प्रारूप पर काम चल रहा है, लेकिन अभी यह अंतिम रूप नहीं ले पाया है। राजस्थान पब्लिक गैंबलिंग (प्रिवेंशन) विधेयक 2021 में ऑनलाइन जुआबाजी और जुआ-सट्टे को संज्ञेय अपराध बनाया जा रहा है। नया विधेयक राजस्थान पब्लिक गेम गैंबलिंग ऑर्डिनेंस 1949 का स्थान लेगा।
महाराष्ट्र से शुरुआत, वहां सरकार ले रही टैक्स
आॅनलाइन खेलों को लेकर विवाद महाराष्ट्र से शुरु हुआ और वहां ये खेल जीएसटी के दायरे में भी है। इन खेलों को लेकर अब तक मामला बॉम्बे हाईकोर्ट, मद्रास हाईकोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका, लेकिन सुप्रीम कोर्ट तक ने रोक से इंकार कर दिया।
दो कानूनी विवाद जुडे हैं खेलों से
— कोर्ट और कंपनियों का कहना है कि आॅनलाइन खेल स्किल को बढ़ावा देने के लिए हैं और यह जुआ नहीं है, लेकिन विरोध करने वालों का कहना है कि यह जुआ और सट्टा है। बच्चों पर इन खेलों के विपरीत प्रभाव की भी शिकायत है।
— राज्यों के स्तर पर इन खेलों को रोकने के लिए कानून बनाए जा रहे हैं, लेकिन कंपनियों व विधि विशेषज्ञों के अनुसार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत कोई भी पाबंदी केन्द्र सरकार ही लगा सकती है।
अब तक यह रहा
1968— सुप्रीम कोर्ट ने रमी को स्किल से जुडा खेल माना
1996— सुप्रीम कोर्ट ने हॉर्स रेसिंग को भी वैध करार दिया
2020— सप्रीम कोर्ट ने आॅनलाइन खेलों को स्किल से जुडा खेल माना
2 अगस्त 2021— सुप्रीम कोर्ट ने आॅनलाइन खेल रोकने को लेकर दायर याचिका खारिज करने के राजस्थान हाईकोर्ट के निर्णय पर दखल से इंकार किया।
3 अगस्त 2021— मद्रास हाईकोर्ट ने आॅनलाइन खेलों पर रोक लगाने वाले 2021 के तमिलनाडू के कानून को रद्द कर दिया। यह भी कहा कि यह संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंतता से जुड़ा मामला है
4 अगस्त 2021— तमिलनाडू के विधि मंत्री एस रघुपति ने बयान दिया कि आॅनलाइन खेलों पर रोक के लिए नए सिरे से विधेयक लाया जाएगा
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