अब नहीं चलेगा बहाना, काम करके होगा दिखाना

अब राजधानी में दो शहरी सरकार, अधिकारियों-कर्मचारियों का हुआ बंटवारा

<p>हैरिटेज नगर निगम</p>
जयपुर. एक वर्ष के लम्बे इंतजार के बाद हैरिटेज नगर निगम और ग्रेटर नगर निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों का बंटवारा हो गया। अब दोनों नगर निगम के काम को गति मिलने की संभावना है। हालांकि अब तक हैरिटेज नगर निगम का मुख्यालय बनकर तैयार नहीं हो पाया है। ऐसे में ग्रेटर नगर निगम से ही हैरिटेज की शहरी सरकार अगले छह महीने तक चलेगी। राजधानी में दो शहरी सरकारों की अलग-अलग दिक्कतें हैं और विकास कार्य भी अपने तरीके से ही कराने होंगे। खाली खजाने से शहर का विकास बिना राज्य सरकार की मदद के संभव नहीं है। क्योंकि 150 करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्यों का अब तक भुगतान लम्बित चल रहा है।
ये होंगी चुनौतियां

हैरिटेज नगर निगम

नए निर्माण : हैरिटेज नगर निगम के क्षेत्र खासकर परकोटे में नए निर्माणों का अंकुश नहीं लगाया जा सका है। मुख्य सड़कों पर नए निर्माण हो रहे हैं। इनको रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
अतिक्रमण : बाजारों में अतिक्रमण हैं। इनको हटाने के लिए पहले भी कई बार प्रयास किए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब परकोटा विश्व विरासत है। ऐसे में अतिक्रमण हटाना बहुत जरूरी है।

ग्रेटर नगर निगम
सफाई: शहर के बाहरी इलाकों में सफाई व्यवस्था दुरुस्त कर पाना आसान काम नहीं होगा। हूपर नियमित रूप से नहीं चल रहे। आबादी भी इसी क्षेत्र में ज्यादा बढ़ रही है। ऐसे में सुविधाओं पर भी ध्यान देने की जरूरत होगी।
स्ट्रीट लाइट: बड़ा क्षेत्र होने की वजह से सर्वाधिक शिकायतें ग्रेटर नगर निगम की ही होती है। नव विकसित कॉलोनियों में कई दिन तक अंधेरा पड़ा रहता है। शिकायत के बाद भी निस्तारण नहीं होता।
इधर से उधर जाने के दो प्रमुख कारण

1. हैरिटेज नगर निगम में चार विधायक कांग्रेस के हैं। इनमें एक कैबिनेट मंत्री हैं और दूसरे सरकारी मुख्य सचेतक हैं। ऐसे में अधिकारी ग्रेटर नगर निगम को ही वरीयता दे रहे हैं। दो उपायुक्त हैरिटेज से बाहर निकलने की कवायद में लगे रहे। इन लोगों की मानें तो राजनीतिक दखल की वजह से ग्रेटर में जाना चाहते हैं। क्योंकि ग्रेटर में बगरू और झोटवाड़ा विस से कांग्रेस के विधायक हैं, लेकिन निगम सीमा में विस का बहुत कम हिस्सा आता है।
2. हैरिटेज में विकास कार्यों की संभावना बहुत कम है। वहीं, ग्रेटर में संभावनाओं की कमी नहीं है। अब शहर का विस्तार भी हैरिटेज की तुलना में ग्रेटर नगर निगम में ज्यादा होगा। ऐसे में नई सड़कों से लेकर पार्कों का विकास ग्रेटर नगर निगम में ही होगा।
कौन कहां जाना चाहता
सफाईकर्मी: किशनपोल और हवामहल जोन में करीब 40 फीसदी सफाईकर्मी रहते हैं। इसके बाद सिविल लाइन्स जोन की बारी आती है। ऐसे में 100 से अधिक सफाईकर्मी ग्रेटर से हैरिटेज जाने की जुगत में लगे हैं।
गार्डन और राजस्व शाखा: हैरिटेज नगर निगम में गार्डन शाखा का काम बहुत कम है। परकोटे के अलावा सिविल लाइन्स और आदर्श नगर जोन में भी गार्डन शाखा का काम पार्कों का रखरखाव करने तक सीमित है। यही हाल राजस्व शाखा का भी है।
पशु प्रबंधन: परकोटे में अवैध रूप में डेयरियों का संचालन वर्षों से होता आ रहा है। पशु प्रबंधन शाखा को जानकारी भी है। यही वजह है कि हैरिटेज की पशु प्रबंधन शाखा में से किसी भी कर्मचारी ने ग्रेटर नगर निगम में जाने में रुचि नहीं दिखाई है।
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