पूर्व केंद्रीय मंत्री और जयपुर ग्रामीण सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने प्रदेश सरकार को लॉक डाउन की पालना, क्वॉरेंटाइन की समुचित व्यवस्था, राशन वितरण और कानून व्यवस्था सहित सभी मोर्चे पर फेल करार दिया है। राठौड़ ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई प्रेस वार्ता में कहा कि प्रवासी श्रमिकों की ही बात की जाए तो जहां अन्य राज्यों में सैंकड़ों ट्रेनों के माध्यम से अब तक लाखों प्रवासी अपने घर पहुंच चुके हैं, वहीं राजस्थान में महज 43 ट्रेनें ही सरकार चलवा पाई है। गहलोत सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किया या फिर कहे कि राजस्थान के लोगों को प्रदेश में लाने के लिए सरकार ज्यादा रुचि नहीं दिखा रही।
राठौड़ ने कहा कि सरकार ने राजस्थान में लॉक डाउन की पालना में शुरू से ही सख्ती नहीं दिखाई। इसी का नतीजा रहा कि धीरे-धीरे प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की तादाद बढ़ती गई। राठौड़ ने प्रदेश के क्वॉरेंटाइन सेंटरों की व्यवस्था पर भी सवाल उठाए और कहा कि इन सेंटरों पर भी अव्यवस्था का आलम है। राजस्थान में राशन वितरण में भी गड़बड़ियां सामने आई हैं। हालांकि स्क्रीनिंग की व्यवस्था पर राठौड़ ने संतोष व्यक्त किया। टिड्डी दलों हमले को लेकर भी भी राठौड़ ने कहा कि प्रदेश सरकार इन्हें रोकने में विफल साबित हुई है। ड्रोन से छिड़काव की तैयारी पर राठौड़ ने कहा कि इससे बड़े क्षेत्र को कवर करना मुश्किल है।
चूरू प्रकरण की सीबीआई जांच की जाए चूरू के राजगढ़ थाना प्रभारी विष्णु दत्त के आत्महत्या प्रकरण को लेकर भी राज्यवर्धन ने सरकार को घेरा और कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। हाल ही में धानक्या गांव में ग्रामीण महिला के हाथ पांव काटकर आभूषण ले जाने के मामले का राठौड़ ने जिक्र करते हुए सरकार को काूनन व्यवस्था के मामले में फेल बताया।