मेंगलूरु हिंसा: आरोपियों को राहत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मेंगलूरु के थाने में आग लगाने वाले 22 आरोपियों को जमानत देने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।

<p>मेंगलूरु हिंसा: आरोपियों को राहत नहीं</p>
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मेंगलूरु के थाने में आग लगाने वाले 22 आरोपियों को जमानत देने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मोहम्मद आशिक सहित अन्य को नोटिस जारी किया। 19 दिसंबर को मोहम्मद आशिक सहित 20 लोगों ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मंगलौर के थाने में आग लगा दी थी। पुलिस ने हिंसा के बाद सीसीटीवी से इनकी पहचान कर गिरफ्तार किया था, लेकिन हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में जमानत दे दी थी। कर्नाटक सरकार ने आरोपियों को मिली जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) के इन कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर हमला भी किया था।
हाईकोर्ट ने फैसले में यह कहा था
कर्नाटक हाईकोर्ट ने 17 फरवरी के अपने दिए गए आदेश में कहा कि पुलिस ने जो सबूत कोर्ट के सामने रखे हैं, गढ़े हुए जान पड़ते हैं। याचिकाकर्ताओं में से किसी का भी कोई आपराधिक रेकॉर्ड नहीं है। याचिकाकर्ताओं के खिलाफ लगाए गए आरोप दंडनीय नहीं है और कोई प्रत्यक्ष प्रमाण भी नहीं है। जांच में दोषपूर्ण और पक्षपातपूर्ण दिखता है। उक्त परिस्थितियों में याचिकाकर्ताओं के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें जमानत स्वीकार की जाए।
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