लेकिन हम यह क्यों भूल जाते हैं कि हमारे इन रिश्तों के लिए इन खुशियों के लिए केवल एक दिन पर्याप्त नहीं हैं। यह कहना है जयपुर के एमपीएस इंटरनेशनल स्कूल की अध्यापिका सुनीता माहेश्वरी का। सोमवार को उन्होंने हिंदी दिवस पर अपने अनुभव शेयर किए।
उन्होंने कहा कि केवल 14 सितंबर को ही हिंदी दिवस मनाकर हम हिंदी को सम्मान नहीं दिला सकते। हमें हिंदी को अपने मन में बसाना होगा,उस पर गर्व महसूस करना होगा तभी हम हिंदी को उचित सम्मान दिला पाएंगे। हम सब यह जानते हैं कि प्यार की कोई भाषा नहीं होती, लेकिन जब हमारी भावनाएं व्यक्त करने का समय आता है तो माध्यम हिंदी भाषा ही बनती है।
उनका कहना है कि आज आधुनिकता के इस दौर में नई भाषा को अपनाना अनुचित नहीं है, लेकिन उसके कारण अपनी भाषा को अनदेखा करना कोई समझदारी नहीं है। हमारी हिंदी भाषा ने प्राचीन काल से ही सभी भाषाओं के महत्व को समझा है और उन्हें आत्मसात किया है। इस लिहाज से हिंदी का शब्द भंडार अत्यंत समृद्ध है।