स्थगन प्रस्ताव के जरिए नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने इस मामले को उठाते हुए कहा कि नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि प्रदेश में ऐसा कोई उपभोक्ता नहीं बचा जिसे बिजली में करंट नहीं मारा हो। सरकार को इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि जो बिल उपभोक्ताओं के आ रहे हैं वह उपभोक्ता उसे भरने के लायक भी है या नहीं। क्योंकि कोरोना काल में लोग टूट चुके हैं। लोगों में काम धंधे नहीं है।
बावजूद उसके लोगों के बिलों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है सरकार को से गंभीरता से लेना चाहिए और केवल अधिकारियों के भरोसे पर नहीं छोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियां लोगों के भले के लिए बनाई गई थी लेकिन आज उसका उल्टा हो रहा है। सबसे महंगी बिजली राजस्थान में मिल रही है। राजस्थान में 8.13 प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली मिल रही है। इसके अलावा विद्युत कर 40 पैसा प्रति यूनिट लगकर रहा है और तमाम तरह के टैक्स लगाने के बाद प्रति यूनिट 10 रुपए तक पहुंच जाती है। जिसके चलते कई औद्योगिक इकाइयां तो आज बंद होने के कगार पर आ गई हैं।
कटारिया ने कहा कि केवल बिजली का कनेक्शन लेने और कोई इस्तेमाल नहीं करने के बावजूद उस उपभोक्ता के 800 रुपए स्थाई शुल्क के नाम पर आ रहा है जो कि अन्याय है। उन्होंने कहा कि 2008 में जब हमने सरकार छोड़ी तब तब बिजली कंपनियां 8000 के घाटे में थी और जब आपने सरकार छोड़ी तब यह घाटा 80हजार के पार पहुंच गया। बाद में हम जब सत्ता में दोबारा आए तो हमने लोन लेकर 80 हजार करोड़ रुपए का चुकाया और इस कंपनियों को घाटे से निकाला लेकिन आज बिजली कंपनियां वापस 86 हजार करोड़ के घाटे में आ गई है।
इन कंपनियों की यह दुर्दशा क्यों हुई इसके बारे में सरकार को बताना चाहिए जबकि गहलोत सरकार ने राजस्थान के आम उपभोक्ताओं पर महंगी बिजली के बिलों का भार डाल रखा है।
बिजली के बिल पर सीएम की फोटो
गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि आज आम उपभोक्ताओं के भी बिजली के बिल पर सीएम सीएम गहलोत की फोटो आ रही है। अगर यह फोटो इसलिए आ रही है कि कि आप ने किसानों को 1000 प्रति माह फ्री बिजली देने की बात कही है लेकिन यह तो हमारी सरकार ने 880 रुपए फ्री बिजली कर दिया था और उसके बिल भी चुका दिए थे। ढाई साल के बाद आपने उस स्कीम को बंद करके 1000 रुपए प्रतिमाह फ्री बिजली करने की बात कर रहे हैं जो कि एक तरह से दिखावा है अगर यह बिल किसानों को जाता है तो ठीक है लेकिन आम उपभोक्ताओं को किस आधार पर ये फोटो वाला बिल भेजा जा रहा है।
इस तरह के घिनौने काम सरकार को नहीं करना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कहा कि कोयले की कमी के चलते कई कंपनियां बंद हो रही है। सूरतगढ, छबड़ा कालीसिंध के कई प्लांट बंद पड़े हैं। उन्होंने कहा कि फ्यूल चार्ज जो राजस्थान में लगाया गया है वह अन्य राज्यों की तुलना में बहुत ज्यादा है।
दूसरे राज्यों में भी फ्यूल चार्ज लग रहा है लेकिन कोविड के चलते उन राज्यों ने उसमें छूट दी गई थी। पहले जो 37 पैसा लगता था उसमें किसी राज्य ने में 19 पैसा किया तो किसी राज्य ने 15 पैसे किए। लेकिन हमारे यहां प्रति यूनिट 40 पैसा प्रति यूनिट फ्यूल चार्ज जुडकर आ रहा है।
कटारिया ने कहा कि जब सरकार को सस्ती बिजली मिल सकती है तब सरकार 12 रुपए प्रति यूनिट बिजली खरीद रहे हैं और जब शटडाउन हुआ इमरजेंसी में 20 रुपए प्रति यूनिट बिजली की खरीद सरकार ने बिजली कंपनियों को लखपति बनाने का काम किया है और आम उपभोक्ताओं को लूटने का काम किया है। कटारिया ने कहा कि कहा कि सरकार को इस पर सोचना चाहिए कि जिस घर में 50 यूनिट बिजली का खर्च है उसका बिल भी 1000 रुपए का आ रहा है।
राजेंद्र राठौड़
स्थगन प्रस्ताव के जरिए राजेंद्र राठौड़ ने महंगी बिजली का मामला उठाते हुए कहा कि सरकार ने कहा कई बार कहा कि राजस्थान बिजली की दृष्टि से आजआत्म निर्भर है। लेकिन बावजूद इसके दुख इस बात का है कि साढ़े तीन माह में एक लाख बावन हजार उपभोक्ताओं ने 8 से 10 घंटे की बिजली कटौती का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सर्वाधिक मंहगी बिजली राजस्थान में है। अगस्त का बिल और बढ़कर आएगा क्योंकि विनियामक आयोग की सिफारिश पर फ्यूल चार्ज बिजली के बिलों में बढ़कर आ रहा है।
राठौड़ ने कहा कि सबसे महंगी बिजली देने के बाद भी क्या कारण रहा कि आठ माह से कोयला उत्पादन कंपनियों के 1785 करोड़ रुपए बकाया रखे। कंपनियों ने सरकार को कोयले की आपूर्ति बंद कर दी जिसके चलते अरबों रुपए की लागत से बने सूरतगढ़ थर्मल के 6 पावर प्लांट बंद रहे। काली सिंध और कोटा थर्मल की यूनिट बंद रही। और सरकार ने अडानी ग्रुप से एमओयू किया।
राठौड़ ने कहा कि केंद्रीय विद्यूत प्राधिकरण ने साफ कहा कि 20 से 25 दिन कोयले का भंडारण रखा जाए लेकिन सरकार ने केंद्रीय विद्यूत प्राधिकरण की गाइडलाइन की पालना नहीं की। सरकार ने विदयूत में कटौती की और महंगी बिजली खरीदी। राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि राजस्थान की गरीब जनता के अरबों रुपए से बने 3700 मेगावाट थर्मल पावर प्रोजेक्ट बंद करने की दोषी गहलोत सरकार है।
जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि स्थगन प्रस्ताव के जरिए कहा कि मुझे अच्छे से याद है मुख्यमंत्री बनने के बाद पहले भाषण में मुख्यमंत्री ने कहा था कि बिजली उत्पादन में राजस्थान सरप्लस है, वो सरप्लस बिजली कहां गई, क्यों अचानक राजस्थान में त्राहि त्राहि मच गई वो भी तब जब बारिश की कमी हो गई। जिन किसानों के पास अपने कुए, ट्यूब वैल और बिजली के कनेक्शन थे वो किसान अपनी जलती हुई फसलों को बचा सकते हैं।
उस वक्त सरकार ने बिजली कटौती करके जघन्य अपराध किया है। गर्ग ने कहा कि राजस्थान में कहावत है कि राज रूठ जाए लेकिन राम नहीं रूठना चाहिए, लेकिन बरसात न करके राम राम रूठ गया और बिजली नहीं देकर राज भी रूठ हो गया और किसानों की हत्या करने का काम सरकार ने किया। जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा था कि बिजली की दरें नहीं बढ़ाई जाएंगी लेकिन चोर दरवाजे से बिजली की दरें बढ़ रही है। भारी भरकम बिल देकर जनता का गला घोंट रहे हैं इसके लिए राजस्थान की जनता सरकार को माफ करने वाली नहीं है।
मदन दिलावर ने कहा कि पूरा प्रदेश जानता है कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी राजस्थान में बिजली में आत्म निर्भर हो गया है। अगर राजस्थान बिजली उत्पादन में आत्म निर्भर हो गया तो फिर बाजार से 41 करोड़ यूनिट बिजली क्यों खरीदनी करनी पड़ी। इनकी मॉनिटरिंग ठीक नहीं है और न ही आंकलन ठीक है। हमारे प्रदेश में बहुंत दिनों तक प्रदेश में बिजली उत्पादन के लिए कोयला उपलब्ध नहीं हो पाया।
इसकी वजह .ये है कि कोयला सप्लायर्स ने 17 हजार करोड़ रुपया बकाया होने के चलते सप्लाई बंद कर दी और सरकार को कहा कि पहले पैसा चुकाएं ए उसके बाद कोयला देंगे। मदन दिलावर ने कहा कि फर्जी मीटरों और फर्जी वीसीआर भरकर भी लोगों से पैसा लिया गया। कोरोना काल में भी लोगों से फिक्स चार्ज लिया, पब्लिक को खूब लूटा और लेकिन कोयला कंपनियों को बकाया नहीं चुकाया। जब मंहगी बिजली खरीदनें में पैसा दे सकते हैं तो फिर कोयला कंपनियों को पैसा क्यों नहीं चुकाया। मदन दिलावर ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में भ्रष्टाचार हुआ है इस मामले की जांच एसीबी को करनी चाहिए।