राजस्थान की गहलोत सरकार ने प्रदेश में एनसीआर क्षेत्र को छोड़कर अन्य सभी जगहों पर दीपावली पर्व पर दो घंटे (रात 8 से रात 10 बजे तक) के लिए ग्रीन पटाखों ( Green Crackers ) को चलाने की अनुमति प्रदान की है। साथ ही क्रिसमस एवं नव वर्ष पर रात्रि 11.55 से रात्रि 12.30 बजे, गुरू पर्व पर रात्रि 8 से रात्रि 10 बजे तक तथा छठ पर्व पर सुबह 6 से सुबह 8 बजे तक ग्रीन पटाखा चलाने की अनुमति होगी। गृह विभाग ने इस संबंध में शुक्रवार को आदेश जारी कर दिए हैं। अन्य त्योहारों पर आतिशबाजी के संबंध में गृह विभाग अलग से दिशा-निर्देश जारी करेगा।
बताया गया है कि जिस शहर में एयर क्वालिटी पूअर या उससे खराब है, वहाँ पर उस दिन आतिशबाज़ी पर रोक रहेगी। सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए गृह विभाग ने अधिकतम छूट देते हुए ग्रीन पटाखों को चलाने की अनुमति प्रदान की है। ग्रीन पटाखों का प्रमाणन केंद्र सरकार की एजेंसी सीएसआईआर-नीरी के द्वारा किया जाता है।
राज्य में 12 पटाखा उत्पादकों को यह प्रमाण-पत्र दिया जा चुका है। इन उत्पादकों को पीईएसओ से पटाखा बनाने के लिए लाइसेंस भी लेना होता है। राज्य के 9 उत्पादकों के पास पीईएसओ से लाइसेंस प्राप्त है।
क्या होते हैं ग्रीन पटाखे- जानें बड़ी बातें ( What is Green Crackers? )
– ग्रीन पटाखे अन्य पटाखों की तुलना में 30 फीसदी तक कम प्रदूषण करते हैं।
– इस तरह के पटाखे ‘वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान’ यानी CSIR-NEERI द्वारा प्रमाणित होते हैं।
– CSIR-NEERI द्वारा विकसित गए ग्रीन पटाखे तीन तरह के हैं। पहले तरह के ग्रीन पटाखे एक तरह के जलने पर पानी पैदा करते हैं, जिससे सल्फर और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैस पटाखे के फटने के साथ ही पानी में घुल जाती है।
– दूसरे तरह के स्टार क्रैकर के नाम से जाने जाते हैं। ये सामान्य से कम सल्फर और नाइट्रोजन पैदा करते हैं। इनमें एल्युमिनियम का कम से कम इस्तेमाल किया जाता है।
– तीसरी तरह के अरोमा क्रैकर्स होते हैं, जो कम प्रदूषण के साथ-साथ खुशबू भी पैदा करते हैं।
– पटाखों के डिब्बों पर नीरी का हरे रंग का लोगो और क्यू आर कोड होता है, जिसे स्कैन करके ग्रीन पटाखों की पहचान की जा सकती है।