प्रदेश कार्यकारिणी गठन के बाद भी कांग्रेस मुख्यालय में सन्नाटा बरकरार, सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज़

-महज दो या तीन पीसीसी पदाधिकारी हीं आते हैं मुख्यालय में नजर, कार्य़कारिणी गठन के बावजूद पीसीसी में रंगत नहीं होने को लेकर चर्चाओं का दौर तेज, न तो प्रदेश उपाध्यक्ष और न ही महामंत्री नजर आते हैं पीसीसी में

फिरोज सैफी/जयपुर।

लंबे समय बाद गठित की गई प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी के बावजूद प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पसरा सन्नाटा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। कार्यकारिणी गठन को 15 दिन से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में कार्यकारिणी गठन के बाद जो रंगत दिखनी चाहिए थी वो नजर नहीं आ रही है।

मुख्यालय में पूर्व की भांति ही सन्नाटा ही पसरा रहता है। हालांकि 10 जनवरी को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में हुई प्रदेश कार्यकारिणी की पहली बैठक के दौरान जरूर चहल-पहल दिखाई दी थी, लेकिन उसके बाद से फिर पीसीसी मुख्यालय में रंगत नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में केवल दो-या तीन सचिव स्तर के पदाधिकारी ही जरूर नजर आते हैं, जबकि प्रदेश कांग्रेस की नई कार्यकारिणी गठित होने के बाद कांग्रेस मुख्यालय में पदाधिकारियों की चहल-पहल होनी चाहिए। कार्यकारिणी गठन के बाद भी पीसीसी मुख्यालय में पसरे सन्नाटे को लेकर सियासी हलकों में चर्चाओं का दौर तेज है।

उपाध्यक्ष और महामंत्रियों ने बनाई पीसीसी से दूरी
दरअसल प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष और महामंत्रियों में कई वरिष्ठ और संगठन के अनुभवी नेताओं को जगह इसलिए दी गई थी कि वे ज्यादातर समय प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में देकर संगठन के कामकाज को गति दें और अनुभवों से संगठन को मजबूत करने के सुझाव पीसीसी को दें, लेकिन बावजूद उपाध्यक्ष और महामंत्री बनाए गए नेताओं ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से लगातार दूरी बना रखी है। अधिकांश समय जयपुर में बिताने के बावजूद पीसीसी के उपाध्यक्ष और महामंत्री कांग्रेस मुख्यालय आकर बैठना मुनासिब नहीं समझते।

आधे से ज्यादा पदाधिकारी नहीं आना चाहते थे कार्यकारिणी में
सियासी गलियारों और कांग्रेस हलकों में चल रही चर्चाओं की माने तो प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणाी में शामिल आधे से ज्य़ादा पदाधिकारी कार्यकारिणी में शामिल नहीं होना चाहते थे। इनकी इच्छा जाने बगैर ही पार्टी के शीर्ष नेताओं ने इन्हें कार्यकारिणी में जगह दिला दी, जबकि इन पदाधिकारियों को राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार में एडजस्ट होने की उम्मीद थी।

इन पदाधिकारिय़ों में 11 विधायक भी शामिल हैं। कार्यकारिणी में शामिल किए जाने से कई विधायक तो अंदरखाने पार्टी के शीर्ष नेताओं के समक्ष नाराजगी भी जता चुके हैं। ऐसे में चर्चा ये है कि पार्टी और संगठन के लिए समय देने वाले नेताओं की उपेक्षा कर इन नेताओं को कार्यकारिणी में किस आधार पर जगह दी दी गई है?

निकाय चुनाव का भी पीसीसी में असर नहीं
वहीं प्रदेश के 90 निकायों में हो रहे चुनाव का भी पीसीसी मुख्यालय में कोई माहौल नजर नहीं आता, न तो चुनाव की मॉनिटरिंग के लिए कंट्रोल रूम स्थापित हुआ और न ही चुनाव को लेकर जिलों में संगठन के नेताओं से कोई संवाद कर चुनाव रणनीतियों पर कोई काम हो रहा है।

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