mining नई खोजों को लेकर खान विभाग नहीं बढ़ पा रहा आगे

खान विभाग राजस्व लक्ष्यों को लेकर कई वर्षों से जूझ रहा
जयपुर। प्रदेश में बड़े पैमाने पर खनिज सम्पदा होने के बावजूद खान विभाग लगातार राजस्व लक्ष्यों को लेकर पिछड़ रहा है। गत वर्ष भी विभाग को लक्ष्यों के मुकाबले करीब 700 करोड़ रुपए का कम राजस्व मिला था।

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खनिजों के दोहन को लेकर विभाग की सुस्ती के चलते राज्य सरकार को मिलने वाले राजस्व में पिछले कई वर्षों से लगातार कमी आ रही है। गत पांच वर्षों की विभाग की स्थिति को देखें तो एक बार के अलावा कभी भी राजस्व लक्ष्य अर्जित नहीं कर सका। जबकि राज्य में सोने, चांदी, पोटाश सहित तमाम खनिजों की उपलब्धता होने को लेकर खोज होती आई है। लेकिन विभाग इनके दोहन को लेकर अभी तक कोई ठोस नीति नहीं बना सका है।
विभाग का वर्ष 2015-16 का राजस्व लक्ष्य 4250 करोड़ रुपए रखा गया था, लेकिन 3782 करोड़ ही मिल सके। इस वर्ष पांच सौ करोड़ रुपए कम मिलने से सरकार की कई विकास योजना पर विपरीत प्रभाव पड़ा। विभाग ने वर्ष 2016-17 में जरूर राजस्व लक्ष्य को अर्जित किया था। इसके बाद 2017-18 में विभाग को राजस्व लक्ष्य के मुकाबले 4 करोड़ रुपए कम मिले। गत वर्ष भी विभाग को वित्तीय वर्ष 2018-19 में करीब 700 करोड़ रुपए का राजस्व कम मिला। बताया जा रहा है कि चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में भी अभी तक जो राजस्व मिला है, वो लक्ष्य के मुकाबले करीब एक हजार करोड़ रुपए कम है। इसके बावजूद विभाग ऐसे अभी तक कोई कदम नहीं उठा सका, जिससे राजस्व लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।

राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में परिवर्तित बजट पेश करने के दौरान बजरी की किल्लत को देखते हुए एम-सैण्ड नीति लागू किए जाने का एलान किया था। लेकिन आठ माह से अधिक का समय निकलने के बावजूद अभी तक एम-सैण्ड नीति जारी नहीं की जा सकी है। ऐसे में एम-सैण्ड को लेकर बड़े पैमाने पर लगने वाले इकाइयां नहीं लग सकी है।
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