विनय की दया याचिका खारिज करने के खिलाफ फैसला सुरक्षित

सुनवाई के दौरान विनय की ओर से वकील एपी सिंह ने कहा कि विनय की मानसिक हालात ठीक नहीं है।

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नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप मामले के एक दोषी विनय की राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जस्टिस आर भानुमति की अध्यक्षता वाली बेंच कल यानि 14 फरवरी को फैसला सुनाएगा।
सुनवाई के दौरान विनय की ओर से वकील एपी सिंह ने कहा कि विनय की मानसिक हालात ठीक नहीं है। वो डिप्रेशन और अनिद्रा का शिकार है। कोर्ट तिहाड़ जेल से मेडिकल रिकॉर्ड मंगवाए। एपी सिंह ने कहा कि मेरे मुवक्किल को पहले ही कई बार जेल प्रशासन की ओर से मानसिक अस्पताल में भेजा जा चुका है और उसे दवाइयां दी गई हैं। मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति को फांसी नहीं दी जा सकती है। एपी सिंह ने कहा यह संविधान की धारा 21 के तहत विनय के जीने के अधिकार का उल्लघंन है। उन्होंने कहा कि नियमों के मुताबिक फांसी की सज़ा होने से पहले दोषी का पूरी तरह से स्वस्थ होना ज़रूरी है।
एपी सिंह की दलीलों का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राष्ट्रपति के सामने दया याचिका के साथ सभी संबंधित दस्तावेज पेश किए गए थे। विनय ने पहली दया याचिका दायर की। उस पर उसे खारिज करने की अनुशंसा की गई लेकिन विनय ने दया याचिका वापस ले लिया। उसने दूसरी दया याचिका दायर की। मेहता ने राष्ट्रपति के समक्ष दायर दूसरी दया याचिका के साथ दस्तावेज में गृहमंत्री और उप-राज्यपाल के हस्ताक्षर दिखाएं। दोषी के सभी रिकॉर्ड की जांच की गई।
मेहता ने कहा कि विनय को कभी भी एकांत कारावास में नहीं डाला गया। जेल में उसकी हमेशा चेकअप की गई। अभी वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। इसलिए राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज करने के फैसले में किसी न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
विनय ने अपनी याचिका में कहा है कि वो डिप्रेशन में है और उसे मानसिक परेशानी है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के शत्रुघ्न चौहान के फैसले का जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया है कि मानसिक रुप से बीमार व्यक्ति को फांसी की सजा नहीं दी जा सकती है। याचिका में विनय की ओर से कहा गया है कि जेल के अंदर उसके साथ किए गए अमानवीय व्यवहार की वजह से उसे मनोवैज्ञानिक आघात लगा है । विनय की याचिका में कहा गया है कि उसे जेल में प्रताड़ित किया गया । उसे एकांतवास में रखकर जेल नियमों का उल्लंघन किया गया है।
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