बदलती राज्य सरकारें, 102 लाख करोड़ की परियोजनाओं पर खतरा

राजनीतिक उठापटक से लक्ष्य प्रभावित

<p>448 infra projects report cost overrun of over Rs 4.02 lakh crore</p>
नई दिल्ली . मोदी सरकार ने अगले पांच सालों में इंफ्रा प्रोजेक्ट पर 102 लाख करोड़ खर्च करने का ऐलान किया है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि सुस्ती दूर करने में इससे बहुत मदद मिलेगी। इंफ्रा प्रोजेक्ट की वजह से लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा, इसके अलावा कच्चे माल की डिमांड में तेजी आएगी। हर स्तर पर मांग में तेजी से अर्थव्यवस्था की गाड़ी फिर से चल पड़ेगी। लेकिन राजनीतिक उठापटक से इस लक्ष्य को धक्का पहुंचता है।
सरकार बदलने से होता है असर
जब किसी राज्य में सरकार बदलती हैं तो नई सरकार खुद को अलग दिखाने के चक्कर में पूर्व सरकार में लिए गए तमाम फैसले और योजनाओं को रोकने में देरी नहीं दिखाती है। इसी ट्रेंड और छोटी राजनीतिक सोच के कारण विकास के कामों पर असर होता है। कई प्रॉजेक्ट बीच में रुक जाते हैं और सैकड़ों, हजारों करोड़ का निवेश लटक जाता है।
बैंक को भी होता है नुकसान
प्रोजेक्ट अटकने के कारण बैंक को भी नुकसान होता है और बैड लोन का खतरा बढ़ जाता है। इस परंपरा के कारण प्राइवेट इन्वेस्टर्स में गलत संदेश जाता है और वह राज्य आधारित प्रोजेक्ट में निवेश करने से कतराते हैं। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद शिवसेना ने गद्दी संभालते ही बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को सफेद हाथी बताया। 1.08 लाख करोड़ के इस प्रोजेक्ट पर खतरा मंडरा रहा है। रेलवे ने करीब 47 फीसदी जमीन का अधिग्रहण कर लिया है। प्रोजेक्ट का रुकना रेलवे और निवेशक, दोनों के लिए भारी नुकसान है।
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