सियासी सुलह के बाद अब कानून की कसौटी पर सरकार का बड़ा दिन

दोपहर बाद तक इसके नतीजे भी देखने को मिलेगेे और इन नतीजों का सरकार पर क्या असर होगा इसका भी इंतजार रहेगा। बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय और अन्य मामलों को लेकर ये याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की गई हैं।

<p>Court sentenced the robbery accused to seven years</p>
जयपुर
सियासी सुलह के बीच राजस्थान की राजनीति में आज का दिन बेहद खास है। सुलह के बाद बैठकों का लंबा दौर चलना तो तय है ही लेकिन इस बीच हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चार याचिकाओं पर सुनवाई का भी लंबा दौर चलना लगभग तय है। दोपहर बाद तक इसके नतीजे भी देखने को मिलेगेे और इन नतीजों का सरकार पर क्या असर होगा इसका भी इंतजार रहेगा। बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय और अन्य मामलों को लेकर ये याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की गई हैं।

स्थगन आदेश को चुनौती और विलय को लेकर है याचिकाएं
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिकाएं दरअसल बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में विलय को लेकर हैं। बसपा की सीट पर जीते छह विधायकों के कांग्रेस में विलय को भाजपा विधायक मदन दिलावर और बसपा ने हाईकोट्र में चुनौती देते हुए विधानसभा अध्यक्ष के 19 सितंबर 2019 के आदेश पर स्थगन आदेश की गुहार लगाई है। और इसी मामले को लेकन दोनो पक्ष सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे थे कि कि खंडपीठ ने उनको स्थगन आदेश नहीं दिया। इन दोनो याचिकाओं पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई होगी और इन्हीं दोनो याचिकाओं को लेकर स्टे की चुनौती देने के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी स्टे को लेकर सुनवाई होगी।

बसपा विधायकों ने किया जवाब दाखिल
बसपा के विधायकों ने सोमवार को उच्च न्यायालय में जवाब दाखिल कर दिया है। इसमें कहा है कि याचिका चलने योग्य ही नहीं है। एक ओर इसी तरह से भाजपा कई राज्यों में दलों का विलय करती रही है और यहां पर इस तरह के विलय को गलत ठहरा रही है। राज्यसभा में भी टीडीपी के चार सांसदों का इसी तरह से विलय किया गया था। जब विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा विधायक की याचिका को तकनीकि आधार पर खारिज की है तो उनको नए सिरे से वहीं पर अपनी याचिका दायर करनी चाहिए थी। इसी वजह से याचिका चलने योग्य नही है इसे सिरे से खारिज कर देना चाहिए। वहीं बसपा विधायकों ने मदन दिलावर की याचिका का जवाब देते हुए कहा कि याचिका अखबारों में छपी खबरों के आधार पर दायर की गई। करीबन दस महीने तक विधायक विधानसभा और उसके बाद कांग्रेसी सदस्य के तौर पर व्यवहार करते हैं इसमें किसी को आपत्ति नहीं थी। इसी के साथ मामले को विधानसभा अध्यक्ष के सामने ही रखा जाना चाहिए था क्योंकि पहले याचिका तकनीकि आधार पर खारिज हुई थी। याचिका को सही तरीके से नियमों के अनुसार अध्यक्ष के सामने पेश करने पर उसका फैसला वहीं पर संभव था। इसी के साथ याचिका में कांग्रेस को आवश्यक पक्षकार बताते हुए कहा कि बसपा का विलय कांग्रेस में हुआ है ऐसे में जब कांग्रेस को पक्षकार नहीं बनाया तो याचिका खारिज करने योग्य है।
बसपा विधायकों ने ये उदहारण भी दिए
बसपा विधायकों ने अपने जवाब में उदाहरण देते हुए कहा है कि राज्यसभा में चार टीडीपी सांसदों के भाजपा में विलय को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति ने मंजूरी दी है। गोवा में कांग्रेस के 15 में से दस विधायकों का विलय किया गया है। इसी तरह से सिक्किम में एसडीएफ के 13 में से 10 विधायकों का भाजपा में विलय हुआ। गोवा में एमजीपी के 3 में से दो विधायकों को भाजपा में मिला लिया गया। अरुणाचल प्रदेश में 43 में से 33 विधायक भाजपा में आ गए। इस सब विलय को भाजपा सही बताती रही है और राज्य में बसपा विलय पर सवाल उठा रही है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.