पानी के लिए तीन किलोमीटर का सफर
ग्रामीणों की माने तो गांव में पानी की सुविधा नहीं होने के चलते उन्हें बारिश के दिनों को छोड़कर बाकी समय पानी के लिए तीन से चार किलोमीटर का सफर रोजाना पानी के बर्तन के साथ पैदल करना होता है।
ग्रामीणों की माने तो गांव में पानी की सुविधा नहीं होने के चलते उन्हें बारिश के दिनों को छोड़कर बाकी समय पानी के लिए तीन से चार किलोमीटर का सफर रोजाना पानी के बर्तन के साथ पैदल करना होता है।
जिससे उनका अधा से ज्यादा समय केवल पानी भरने में ही निकल जाता है, पीएचई ने भी लोगों को सुविधा देने के लिए गांव से बाहर बोर खनन करवाया है जहॉ से लोग इन दिनों पीने व निस्तारी के लिए पानी लेकर आते है। ग्रामीणों की माने तो इन्ही हैंडपंपों से यदि मोटर लगातार गांव तक पानी पहुचा दिया जाए तो बेहतर होता।