क्या सच में राजनीतिक उपेक्षा का शिकार हुआ यह शहर?

मप्र सरकार में जबलपुर से एक भी विधायक को जगह नहीं मिलने को विपक्ष ने बनाया मुद्दा
 

<p>bjp-congress</p>

कांग्रेस सरकार के इन प्रोजेक्ट पर संकट
– ग्राम भटौली में 50 हेक्टेयर भूमि पर इंदिरा गांधी टैक्सटाइल पार्क की स्थापना
– जिला चिकित्सालय का 50 करोड़ रुपए की लागत सेे 500 बिस्तरीय अस्पताल में उन्नयन।
-ग्वारीघाट से मंगेली तक 120 करोड़ की लागत से केबल स्टे ब्रिज का निर्माण।
– नैरोगेज रेलवे की भूमि का हस्तांतरण कर ग्रीन ट्रांजिट कॉरीडोर की स्थापना
– मंगेली में 100 एकड़ भूमि पर स्टेट ऑफ आर्ट टाउनशिप विकसित करने की योजना।
– जिले में दुग्ध विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय की स्थापना ।
– रामपुर क्षेत्र में 25 करोड़ की लागत से नयागांव में 100 बिस्तर का अस्पताल।
शिवराज सरकार की ये घोषणाएं अधूरी
-नर्मदा तटों पर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगने थे। ताकि, गंदे नाले नर्मदा में सीधे नहीं मिलें। नर्मदा सेवा यात्रा में इसकी घोषणा हुई, लेकिन काम नहीं हुआ।
-सरस्वती घाट में पुल की स्थापना

जबलपुर। मप्र में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में चौथी बार भाजपा की सरकार बनी तो, जबलपुर में भी खूब ढोल नगाड़े बजे थे। लेकिन, जबलपुर से एक भी मंत्री नहीं बनाया गया, तो पूरा राजनीतिक परिदृश्य ही बदल गया। भाजपा विधायक तो कुछ नहीं बोल रहे हैं, लेकिन विपक्षी कांग्रेस को बड़ा मुद्दा मिल गया है। क्योंकि, कमलनाथ मुख्यमंत्री बने थे, तो जबलपुर से दो कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे। इसके पहले भाजपा सरकारों में भी जबलपुर से मंत्री जरूर रहते थे। विधानसभा अध्यक्ष के रूप में ईश्वरदास रोहाणी ने तो पूरे महाकौशल का सिक्का जमाया था। इस बार माहौल बदल गया है। कांगे्रस वाले इसे जबलपुर की राजनीतिक उपेक्षा बता रहे हैं। भाजपा वाले समय का जरूरत बता रहे हैं।

शिवराज सरकार के चौथे कार्यकाल में जबलपुर को राजनीतिक नेतृत्व नहीं मिलने का मुद्दा गर्माता जा रहा है। मंत्रिमंडल में जबलपुर को जगह नहीं मिलने से स्वकीकृत विकास कार्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वहीं, नए प्राजेक्ट में भी जबलपुर की दावेदारी कम होने के कयास लगाए जा रहे हैं। शहर में अभी ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं, जो भाजपा और कांग्रेस के कार्यकाल में स्वीकृत हुए थे। हालांकि, सत्तापक्ष के विधायक विकास में कोई कसर नहीं छोडऩे की बात कह रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सरकार में जिस क्षेत्र के ज्यादा मंत्री होंगे, वे अपने ही क्षेत्र में नए प्रोजेक्ट लगाएंगे। अभी जबलपुर में सेटेलाइट सिटी, मेट्रोपोलिटिन सिटी व मेट्रो टे्रन जैसे प्राजेक्ट विचाराधीन ही है।
कांग्रेस सरकार में महाकोशल का दवदबा था। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंडवाड़ा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। विधानसभा अध्यक्ष गोटेगांव नरसिंहपुर से थे। वहीं, प्रदेश के वित्तमंत्री तरुण भनोत व सामाजिक न्याय मंत्री लखन घनघोरिया जबलपुर से थे। भाजपा सरकार में जबलपुर खाली हाथ ही रह गया।

प्रदेश में जितने जिले हैं, उतने मंत्री तो नहीं हो सकते। हां, जो मंत्री बने हैं, उनकी जिम्मेदारी है कि वे पूरे प्रदेश का समान विकास कराएं। विधायक के नाते अपने शहर की आवाज उठाऊंगा। बड़े प्रोजेक्ट के लिए बराबर लड़ाई की जाएगी। भाजपा के शासनकाल में जितना विकास हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ न होगा।
अजय विश्नोई, विधायक और पूर्व मंत्री
मंत्रिमंडल का गठन असंतुलित है। इसका प्रभाव जबलपुर के विकास पर पड़ेगा। भाजपा ने हमेशा महाकोशल के साथ पक्षपात किया है। वर्तमान में यहां अजय विश्नोई, अशोक रोहाणी और गौरीशंकर बिसेन जैसे नेताओं की भी उपेक्षा की गई। विंध्य में भी यही स्थिति है। फिर भी कांग्रेस शासन में जबलपुर के लिए जो योजनाएं बनी थीं, उन्हें पूरा करवाएंगे।
लखन घनघोरिया, विधायक व पूर्व सामाजिक न्यायमंत्री
कांग्रेस शासन में जबलपुर के लिए 3 हजार करोड़ रुपए के कार्यों का प्रावधान किया था। इसमें शहर का सौंदर्य, पर्यटन, रोजगार, डेयरी सांइस, सरकारी डेंटल कॉलेज जैसी योजनाएं हैं। अब हमारी सरकार नही हैं लेकिन इन्हें पूरा कराएंगे। जबलपुर में योग्य विधायक हैं, उन्हें जिम्मेदारी देनी थी। लेकिन, भाजपा में योग्यता को जगह नहीं मिलती।
तरुण भनोत, विधायक व पूर्व वित्तमंत्री
परिस्थितिवश जितना जबलपुर को मिलना चाहिए था वह नहीं मिल पाया, लेकिन निराशा की बात नहीं है। भविष्य की परिस्थियां जबलपुर के अनुकूल रहेंगी। जहां तक जबलपुर के विकास की गति की बात है तो हमारी सरकार है, वह कम नहीं होगी। जो पहले के प्रोजेक्ट हैं उन्हें पूरा कराएंगे। नए प्रस्तावों को बनाकर भेजने का क्रम भी जारी रहेगा।
अशोक रोहाणी, विधायक केंट

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.