MP के इस जिले में मिले कोरोना से जुड़ी घातक बीमारी Black fungus के शिकार, मचा हड़कंप

-मेडिकल कॉलेज में मिले Black fungus मामले-एक युवक सहित दो की मौत-कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों को अपनी गिरफ्त में ले रहा ये इन्फेक्शन

<p>Black fungus</p>
जबलपुर. कोरोना संक्रमण मध्य प्रदेश के तीन जिलों इंदौर, भोपाल के बाद अब जबलपुर में भी अत्यंत घातक स्तर पर पहुंच गया है। जानकारी के मुताबिक अब जबलपुर में भी कोरोना से जुड़ी अत्यंत घातक बीमारी Black fungus के पीड़ित भी मिले हैं। बताया जा रहा है कि इससे एक युवक सहित दो लोगों की मौत भी हो चुकी है।
जबलपुर में ब्लैक फंगस के मामलों की पुष्टि हुई है। मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग में कोरोना से ठीक हो चुके कुछ मरीजों में इसके लक्षण देखे गए हैं। इनमें एक मरीज की मृत्यु होने की भी पुष्टि की गई है। ये बीमारी इतनी खतरनाक है कि लोगों की जान बचाने के लिए उनके शरीर के अंग तक काटकर निकालने पड़ सकते हैं। संक्रमण से बचाने के लिए मरीज की आंखें तक निकालने की नौबत भी आ सकती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी कोरोना काल के पहले भी थी, लेकिन तब उच्च मधुमेह रोगियों में पाई जाती रही। लेकिन कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड के इस्तेमाल के बाद शुगर बढ़ने से ब्लैक फंगल इंफेक्शन बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं। ऐसे में खासकर उन मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत है, जो लंबी अवधि से मधुमेह से जूझ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसके मामले देखे जा रहे हैं।
ब्लैक फंगस की चपेट में ऐसे लोग सबसे ज्यादा आते हैं जो डायबिटिक हैं या लंबे समय से स्टेरॉयड यूज कर रहे हों। बताया जा रहा है कि कोरोना जिन लोगों को हो रहा है उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। अगर किसी हाई डायबिटिक मरीज को कोरोना हो जाता है तो उसका इम्यून सिस्टम और ज्यादा कमजोर हो जाता है। ऐसे लोगों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन फैलने की आशंका और ज्यादा हो जाती है।
क्या है ब्लैक फंगस?

विशेषज्ञों के अनुसार ये एक फंगल डिसीज है, जो म्यूकॉरमाइटिसीस नाम के फंगाइल से होता है। ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। अगर इसे शुरुआती दौर में ही डिटेक्ट नहीं किया जाता तो आंखों की रोशनी जा सकती है। या फिर शरीर के जिस हिस्से में ये फंगस फैला है शरीर का वो हिस्सा सड़ सकता है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
जानकार बताते हैं कि शरीर के किस हिस्से में ब्लैक फंगस इंफेक्शऩ है उस पर इस बीमारी के लक्षण निर्भर करते हैं। चेहरे का एक तरफ से सूज जाना, सिरदर्द होना, नाक बंद होना, उल्टी आना, बुखार आना, चेस्ट पेन होना, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपरी हिस्से या नाक में काले घाव होना जो बहुत ही तेजी से गंभीर हो जाते हैं।
कितना घातक है ये फंगस

मेडिकल कॉलेज की ईएनटी स्पेशलिस्ट व विभागाध्यक्ष डॉ. कविता सचदेवा कहती हैं कि ये फंगस एक मरीज से दूसरे मरीज में नहीं फैलता है लेकिन ये कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिमाग में इसके पहुंचने पर मरीज की मौत होने के चांस 70 से 80 फीसदी तक हैं। आमतौर पर इंफेक्शन नाक से शुरू होकर, आंख और दिमाग तक पहुंचता है। अगर इसे शुरूआत में ही डिटेक्ट कर लिया जाए, तो मरीज ठीक हो सकता है।
बचाव के उपाय

-जिन लोगों को कोरोना हो चुका है उन्हें पॉजिटिव अप्रोच रखनी चाहिए। कोरोना ठीक होने के बाद भी रेगुलर हेल्थ चेकअप कराते रहना चाहिए
-अगर फंगस जैसे कोई भी लक्षण दिखें तो तत्काल डॉक्टर के पास जाना चाहिए। इससे ये फंगस शुरुआती दौर में ही पकड़ में आ जाएगा और इसका समय पर इलाज हो सकेगा
-कोरोना से रिकवर होने के बाद कुछ दिनों के अंतराल में शुगर चेक कराते रहना चाहिए, शुगर 200 से ऊपर होना खतरे की घंटी है, ऐसे में विशेषज्ञ से परामर्श लें
-अपने गले और नाक को सूखने न दें। पेय पदार्थ गले को तर रखेंगे, नाक में तेल लगा सकते हैं। अपने आस-पास साफ-सफाई और हाइजीन मेंटन रखे
केस 1 – गुप्तेश्वर निवासी 38 वर्षीय युवक 2 अप्रैल को कोराना संक्रमित हुए। 5 अप्रैल को निजी अस्पताल में भर्ती किया गया, वेंटीलेटर की जरूरत के बाद उन्हें 15 अप्रैल को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। यहां कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव होने पर उन्हें जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया। 25 अप्रैल को चेहरे पर सूजन आई, आंख भी सूज गई। डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया, जब तक फंगस दिमाग में पहुंच गई। ऑपरेशन के बाद भी उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। 3 मई को उनकी मृत्यु हो गई। परिवार वालों ने बताया कि देवांशु को शुगर की समस्या थी।
केस- 2– शहपुरा जमुनिया के मनखेड़ी के रहने वाले 45 वर्षीय युवक को कुछ दिनों पहले बुखार की शिकायत थी। गांव में कोरोना जांच नहीं हुई। स्थानीय चिकित्सकों से इलाज लेने के बाद बुखार ठीक हो गया। कुछ ही दिनों बाद चेहरे का एक हिस्सा सूज गया और आंख बंद हो गई। जबलपुर इलाज के लिए पहुंचे तो जांच में शुगर 400 मिली। डॉक्टरों ने बताया कि लक्षण ब्लैक फंगस के हैं।
केस- 3– पाटन निवासी लगभग 55 वर्षीय शिक्षक को लगभग 1 माह पूर्व कोरोना हुआ था। कोरोना से रिकवरी के दौरान उनकी तबियत बिगड़ने लगी। आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगी। विभिन्न अस्पतालों में इलाज कराने के बाद भी ब्लैक फंगस ठीक नहीं हो सकी और परिवार वाले उन्हें घर ले आए। सोमवार को उनका निधन हो गया।
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