हालांकि यह कोई नई बात नहीं वर्षो से ऐसा ही चल रहा है। आलम यह है कि पीने के लिए एक बाल्टी पानी की खातिर रोज झगड़ा हो रहा है। मारपीट तक की नौबत आ जा रही है। अल्पसंख्यकों के इलाके में रहने वाले पूरी तरह से बेपानी हो चुके हैं। लेकिन न जनप्रतिनिधियो को इससे कोई सरोकार है न जिम्मेदार अफसरों को।
बता दें कि जबलपुर में कई ऐसे मोहल्ले व कालोनियां हैं जो ऊंचाई पर बसी हैं। ऐसे में इन इलाकों में प्रेशर न होने के चलते पानी पहुंच ही नहीं पा रहा। उधर नगर निगम शहर को स्मार्ट बनाने में जुटा है। लोगों का कहना है कि ये कौन सी स्मार्टनेस है जिसमें लोगों को एक ग्लास पानी नसीब न हो। हाल ये है कि टैप वाटर के लिए टोंटी खोलिये तो सूं-सूं की आवाज के साथ गैस निकलती है।
पानी के लिए जनता में कोहराम मचा है लेकिन अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। लोगों का कहना है कि यही हाल रहा तो मई-जून में क्या होगा।