जबलपुर

इस क्षेत्र में वन्यजीवों के शिकार-अंगों की तस्करी पर नहीं लग रहा अंकुश, आए दिन वारदातें

क्षेत्रीय वन अमले को नहीं मिल रही कामयाबी

जबलपुरFeb 01, 2020 / 06:44 pm

reetesh pyasi

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जबलपुर। वन्य प्राणियों के शिकार और उनके अंगों की तस्करी पर अंकुश लगाना वन विभाग के लिए चुनौती बना हुआ है। शहरी क्षेत्र के वनों में शिकारी ज्यादा सक्रिय हैं। प्रमुख नेशनल पार्कों से जुडऩे वाले शहर में वन्य प्राणियों के अंगों की भी तस्करी हो रही है। स्पेशल टीमों ने हाल ही में शहरी क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर के वन्य प्राणियों के तस्करों को दबोचा है, लेकिन, क्षेत्रीय वन अमले को कामयाबी नहीं मिल रही है।
तस्करी के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग
कान्हा नेशनल पार्क मंडला, बालाघाट, पेंच नेशनल पार्क सिवनी, बांधवगढ़ नेशनल पार्क कटनी, रानी दुर्गावती सेंचुरी दमोह, नौरादेही सेंचुरी सागर के यातायात मार्ग जुड़े हैं। स्पेशल टीमों द्वारा पकड़े गए शिकारियों ने पूछताछ में बताया कि वे तस्करी के लिए सार्वजनिक परिवहन के वाहनों का भी उपयोग करते हैं। लेकिन वन विभाग के बैरियर और टाइगर स्ट्राइक फोर्स के डॉग स्क्वॉड के खाते में ऐसी कामयाबी दर्ज नहीं हो सकी है।
बरगी डैम के पास रहते थे अंतरराष्ट्रीय तस्कर
टाइगर स्ट्राइक फोर्स जबलपुर और स्पेशल टास्क फोर्स भोपाल की संयुक्त टीम ने दो अगस्त 2019 को राजस्थान के कोटा से बारसूल और 21 अक्टूबर 2019 को गुजरात के आनंद जिले से यारलीन नामक तस्कर को गिर$फतार किया। दोनों छह साल से फरार थे। दोनों ने अपना पता कटनी जिले में बताया था। फरार होने के बाद वे नाम बदलकर बरगी डैम के पास एक गांव में परिवार के साथ रह रहे थे। महाराष्ट्र में उनके गिरोह के चार आरोपी गिरफ्तार हुए तो वे फरार हो गए। बताया गया कि वर्ष 2012 में नेपाल में बाघ और तेंदुए की खाल पकड़े जाने पर खुलासा हुआ कि खाल पेंच नेशनल पार्क के बाघ की थी। इसके बाद मप्र में गिरोह की तलाश शुरू हुई। वर्ष 2013 में उनके खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया गया। वन्य प्राणी अपराध नियंत्रण ब्यूरो ने ओडिशा और झारखंड से पेंगोलिन के तस्करों को पकड़ा है। बालाघाट, पन्ना, कटनी सहित अन्य क्षेत्रों में पेंगोलिन की तस्करी हो रही है।
शहर के मामले
जुलाई 2018 में एसटीएफ ने खमरिया में तेंदुए की खाल पकड़ी
दिसम्बर 2018 में सीएमएम में जंगली ***** को फंदा लगाने का मामला
दिसम्बर 2019 में एसटीएफ ने अधारताल में तेंदुए की खाल के साथ तस्कर को पकड़ा
वर्ष 2019 में पाटन में जंगली सूअर, सिहोरा में चीतल और जबलपुर में बगुले के शिकार के मामले सामने आए
18 जनवरी 2020 को छेवला गांव में फंदा लगाने वाले शिकारी को पकड़ा
रेल और सड़क यातायात के लिहाज से जबलपुर महत्वपूर्ण है। वन्यप्राणियों के शिकारी रेल, बस और टैक्सी के अलावा बाइक और साइकिल से भी भी लम्बी दूरी तय करते हैं। शिकारियों का नेटवर्क तोडऩे के लिए गुप्तचर तंत्र का सार्थक उपयोग और वन अमले को सक्रिय रहना चाहिए।
राघवेंद्र बिसेन, रिटायर्ड एसडीओ, कान्हा नेशनल पार्क
वन विभाग की टीम शिकार और तस्करी रोकने के लिए सक्रिय है। आरोपियों को लगातार पकड़ा जा रहा है। सार्वजनिक स्थानों पर पैनी नजर रखी जा रही है। शिकारियों की निशानदेही पर भी तस्कर पकड़े जाएंगे।
रवींद्र मणि त्रिपाठी, डीएफओ

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