हटा, दमोह निवासी संदीप बजाज की ओर से 2016 में जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि एमपीआरडीसी ने जबलपुर से दमोह के बीच सड़क बनाने व मेंटेनेंस का ठेका सात अगस्त 2009 को मुंबई की मेसर्स एस्सेल जबलपुर दमोह टोल रोड प्रालि को दिया। सड़क बदहाल हो चुकी है। उस पर चलना मुश्किल हो रहा है। ठेके की शर्त के अनुसार सड़क का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है। खस्ताहाल सड़क के बावजूद कंपनी टोल नाके लगा कर आने-जाने वाले वाहनों से टोल टैक्स वसूल कर रही है। इसकी शिकायत एमपीआरडीसी से की गई। पथरिया विधायक लखन पटेल ने यह मामला विधानसभा में भी उठाया था, लेकिन सड़क परिवहन मंत्री रामपाल ने गोलमोल जवाब दे कर विषयांतर कर दिया था। इन सबके बावजूद सड़क की दशा और बदतर हो गई। पूर्व सुनवाइयों में हाईकोर्ट के पूर्व निर्देश के अनुसार पीडब्ल्यूडी के एसई ने अपनी रिपोर्ट सड़क के गड्ढों के फोटोग्राफ्स के साथ पेश की थी। इसका अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने जिम्मेदार अधिकारियों की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण यंत्री की रिपोर्ट साफ कह रही कि सड़क का मेंटेनेंस नहीं हो रहा है।
महाधिवक्ता पीके कौरव के साथ उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने राज्य की सड़कों के सम्बंध में रिपोर्ट पेश कर बताया कि जबलपुर से दमोह सड़क 11.5 किमी, जबलपुर-मंडला सड़क 12.5 किमी, जबलपुर से नरसिंहपुर-पिपरिया मार्ग 47 किमी उधड़ गई हैं। जबलपुर सम्भाग में नेशनल हाईवे 12.5 किमी, स्टेट हाइवे 58 किमी व अन्य मार्ग 14.5 किमी खराब हैं। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में सबसे ज्यादा खराब सड़कें सागर सम्भाग की हैं। यहां के स्टेट हाइवे 180 किमी व अन्य मार्ग 163 किमी तक खराब हैं। बहुपृष्ठीय रिपोर्ट में प्रदेश के सभी सम्भागों में सड़कों की हालत खराब बताई गई। कोर्ट मित्र के रूप में अधिवक्ता एनएस रूपराह उपस्थित हुए।