सोचने वाली बात यह है कि बीच शहर अतिक्रमण करके इतना बड़ा 'दरबार सजा कैसे दिया गया?
जबलपुर। कहने को तो जबलपुर शहर में सरकार जमीन पर तकरीबन तीन करोड़ से सजाए-संवारे गए दरबार नाम के रेरस्टोरेंट को ढहा दिया गया है। लेकिन, सवाल यह है कि यह इतने भव्य रूप में बनवा लिया गया और निगम के जिम्मेदारों को पता कैसे नहीं चला। तकरीबन दो साल बाद यहां बुलडोजर भेजे गए। चार हजार वर्गफीट में बने 'दरबार रेस्टोरेंट में रोजाना लाखों का कारोबार होता था। यहां एक साथ 100 से अधिक लोगों को बैठने के लिए रेस्टोरेंट और एक बैंक्विट हॉल था। 2018 से नगर निगम इस अवैध निर्माण को लेकर नोटिस दे रहा है। कुछ मौकों पर तो नोटिस ही लेने से इनकार किया गया। माफिया की आड़ में इस रेस्टोरेंट को चलाया जा रहा था।
जबलपुर शहर के नौदराब्रिज के पास बने इस एयरकूल्ड रेस्टारेंट में बड़ी संख्या में लोग लंच और डिनर के लिए आते थे। यश जैन की जमीन पर बने इस रेस्टोरेंट में अब्दुल रज्जाक का निवेश था। अब्दुल रज्जाक के खिलाफ पूर्व में एनएसए की कार्रवाई भी हो चुकी है। साल के शुरू में माफिया दमन दल की कार्रवाई प्रारम्भ हुई तब ओमती नाले पर भी कब्जा हटाया गया था। रज्जाक ने नाले के स्लैब पर बगीचा तैयार किया था। इस रेस्टोरेंट का अवैध रूप से निर्माण करके व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा था। इसकी जानकारी शासन तक पहुंची थी। तभी एक रणनीति के तहत इसे तोडऩे की योजना बनाई गई थी। बताया जाता है कि पहले इस जगह पर किसी व्यक्ति का कब्जा था। फिर जमीन को खाली कराया गया। उसके बाद यश जैन और हर्ष जैन ने इस बेशकीमती जमीन पर रेस्टोरेंट बनवाया।
नक्शा भी पास नहीं था
रेस्टोरेंट का निर्माण नगर निगम से नक्शा पास किए बगैर कराया गया था। इसके संचालन की अनुमति भी नहीं ली गई थी। उधर, रेस्टोरेंट संचालकों ने आरोप लगाया कि उनके साथ भेदभाव पूर्ण कार्रवाई की गई। मामला हाईकोर्ट में है। शनिवार को पेशी से पहले इस निर्माण को तोड़ दिया गया। नक्शा पास करवाने की कार्रवाई नगर निगम के कारण लंबित है। उन्हें नोटिस मिला और न ही कोई सूचना दी गई। सामान निकालने तक की मोहलत नहीं दी गई।