जबलपुर में 20 जिलों के मरीज हो रहे रेफर, फिर भी आधे मिल रहे रेमडेसिविर

जबलपुर में 20 जिलों के मरीज हो रहे रेफर, फिर भी आधे मिल रहे रेमडेसिविर
 

<p>BLACK MARKETING : 18 रेमडेसिवीर इंजेक्शन बेचे, डॉक्टरों के खिलाफ भी जांच</p>

जबलपुर। शहर में अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए 15 सौ से ज्यादा आइसीयू बिस्तर हैं। ये 90 प्रतिशत तक भरे हैं। इसके अलावा गम्भीर मरीज ऑक्सीजन बेड पर भी भर्ती हैं। लेकिन, शहर में उपलब्ध आइसीयू बेड के लिहाज से भी अभी रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हैं। ज्यादातर गम्भीर मरीज को जरूरत होने पर पहली बार में एक साथ दो इंजेक्शन की डोज की जरूरत होती है। उसके बाद एक-एक इंजेक्शन आने वाले एक सप्ताह में लगाए जाते हैं। एक दिन भी इंजेक्शन की खेप अटकने से गम्भीर मरीजों को इंजेक्शन की डोज का शेड्यूल गड़बड़ा जाता है। परिजन भटकते और परेशान होते हैं।

अस्पतालों में भर्ती मरीजों को अभी भी समय पर नहीं लग पा रहे इंजेक्शन

जहां से मरीज आ रहे वहां भी हो रही आपूर्ति
रीवा और सागर सम्भाग के कुछ जिलों से कई गम्भीर संक्रमित शहर आकर उपचार करा रहे हैं। इसके अलावा मेडिकल वाले छिंदवाड़ा और शहडोल से भी गम्भीर मरीज शहर में आकर भर्ती हो रहे हैं। जबकि, इन सम्भाग और जिलों को अलग से रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया कराए जा रहे हैं। महाकोशल के साथ ही विंध्य और बुंदेलखंड के कुछ जिलों के कोरोना मरीजों के लिए शहर जिस तरह राहत का केंद्र बनकर उभरा है, उसके मुताबिक इंजेक्शन की आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत विशेषज्ञ महसूस कर रहे है।

शहर में आसपास के सम्भाग से गम्भीर मरीज आकर उपचार करा रहे है। कई जिलों में सुविधाओं का अभाव है। भौगोलिक दृष्टि से उनके लिए शहर आकर उपचार कराना सुविधाजनक होता है। बाहर से आने वाले गम्भीर मरीजों को ध्यान में रखते हुए शहर को रेमडेसिविर इंजेक्शन की और ज्यादा संख्या में आपूर्ति की जरूरत है।
डॉ. सुनील मिश्रा, समाजसेवी

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